!!! हर काम-दिशा रति पावन हो !!!
दुर्मिल सवैया छन्द आठ सगण यथा-112 आठ पुनरावृतित
// 1 //
हर मां जगती तल शीतल सी, नव जीवन दायक है जर* मां।..........*धन अर्थात लक्ष्मी
जर मां सब ध्यान धरे उर में, दर रोशन, बाहर है गर मां।।
गर मां नव दीप जले सुखदा, सुख बांट रहूं सुख को वर मां।
वर मां मुझको शिशु कृष्ण कहो, तम नष्ट करूं वर दे हर मां।।
// 2 //
समिधा सम दुर्गति नष्ट करें, सत पुष्ट करें अति पावन हो।
मन उज्वल हो कर दान सधे, तपनिष्ठ रहें मति पावन हो।।
अति दीन मलीन कुलीन बनें, सुविचार दया गति पावन हो।
नर-नारि सदा सम ज्ञान रहें, हर काम-दिशा रति पावन हो।।
के0पी0सत्यममौलिक व अप्रकाशित
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आदरणीय अरून अनन्त जी आपके स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार। आपका स्नेह बस यूं ही बना रहे। सादर,
आदरणीय गणेशजी सर जी आपके स्नेह, आशीष और उत्साहवर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार। आपका स्नेह बस यूं ही बना रहे। सादर,
आदरणीय विजय निकोर सर जी आपके स्नेह, आशीष और उत्साहवर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार। आपका स्नेह बस यूं ही बना रहे। सादर,
आदरणीय सौरभ सर जी आपके स्नेह, आशीष और उत्साहवर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार। आपका स्नेह बस यूं ही बना रहे। सादर,
आदरणीय जितेन्द्र भार्इ जी आपके स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार। आपका स्नेह बस यूं ही मिलता रहे। सादर,
आदरणीय अनुराग भार्इ जी आपके स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार। आपका स्नेह बस यूं ही मिलता रहे। सादर,
आदरणीय गीतिका जी, आपके स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार। आपका स्नेह बस यूं ही मिलता रहे। सादर,
आदरणीय लड़ीवाला सर जी, आपके स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार। आपका स्नेह बस यूं ही मिलता रहे। सादर,
आदरणीय लड़ीवाला सर जी, आपके स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार। आपका स्नेह बस यूं ही मिलता रहे। सादर,
आदरणीय भण्डारी भार्इ जी,
//धर ज्ञान कमान तुणीर सदा, हिय कोमल स्पंदन प्रिय सा।
जग बंदन मान समान फले, अभिनन्दन नन्द कुमार नशा।।//
--------------------------------आपके स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार। आपका स्नेह बस यूं ही मिलता रहे। सादर,
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