For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल- सारथी || ज़िक्र कुछ यार का किया जाये ||

ज़िक्र कुछ यार का किया जाये

ज़िन्दगी आ जरा जिया जाये /१ 

हो चुकी हो अगर सजा पूरी

दर्दे दिल को रिहा किया जाये /२ 

चाँद छूने के ही बराबर है

मखमली हाथ छू लिया जाये /३ 

ज़ख़्म ताजा बहुत जरुरी है

चल कहीं दिललगा लिया जाये /४ 

वक़्त ने मिन्नतें नहीं मानी

माँ को खुलके बता दिया जाये /५ 

हसरतें ईद की अधूरी हैं

ख़ामुशी से जता दिया जाये /६ 

चाँद से कल मेरी सगाई है

रकमें मेहर ज़मीं दिया जाये /७   

गुफ़्तगू धड़कनों की जारी है

यार शम्मा बुझा दिया जाये /८ 

कब तलक ‘सारथी’ सुनाएगा

यार मुझको दफा किया जाये /९ 

.............................................
*सर्वथा मौलिक व अप्रकाशित 
 बह्र :  २१२२ १२१२ २२ 

Views: 1335

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Saarthi Baidyanath on October 8, 2013 at 10:16pm

जनाब  विजय मिश्र साहब , आपकी बेइंतहा मुहब्बतों के लिए तहे दिल से शुक्रिया ! दुआओं में उठे हाथों को ज़बीं से लगाकर नत मस्तक हूँ ! कोटि कोटि आभार इस स्नेह के लिए !

कुछ बातें मैं बेहिचक बोल सकता हूँ ...यह मंच कई मायनों में अलग है ! एक तो सीखने के लिए  संसाधनों की भरपूर उपलब्धता है ... मार्गदर्शन के लिए गुणी जन हैं , कमियों को दूर करने के लिए एक साथ कई हाथ आगे , मदद के लिए बढ़ते हैं और सौ में एक बात ...बिना लाग लपेट अच्छे की सराहना की जाती है और जिस रचना में त्रुटियाँ रहती हैं, कुछ शिल्प में चूक होती है  उसके निवारण के उपाय भी बताये जाते हैं !...बहुत खुश हूँ इस परिवार में आकर !

विजय सर ...आपके साथ साथ ..मंच के सभी अग्रजों को सादर प्रणाम करता है -सारथी ! .....नमन ..नमन ...नमन :)

Comment by विजय मिश्र on October 8, 2013 at 5:24pm
चुकता वो है ,जिसके शब्द चुकने लगते है ,अभी ती सफा दर सफा आपके इल्म की पैमाईश जारी है ,जमाल और निखरेगा ,दफा की बात आपके दुश्मनों को नासाज गुजरे .दुआ है और तरक्की करिए . खूबसूरत गज़ल .शुक्रिया सारथीजी आपतो सार्थ हैं .
Comment by Saarthi Baidyanath on October 8, 2013 at 12:17pm

 जनाब नादिर ख़ान साहिब, भाई रामनाथ 'शोधार्थी' जी , श्री अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी , आदरणीय Er. Ganesh Jee "Bagi" जी , श्रीमती कल्पना रामानी जी और महोदया Sarita Bhatia जी .... बेहद शुक्रगुजार हूँ आप सब का ! नजरे- इनायत बनाये रखियेगा !

मान्यवर अखिलेश साहब , आपके संशोधन से सहमत हूँ.. धन्यवाद आपका ! नादिर साहब ..दुआओं के लिए तहे-दिल से शुक्रिया..सलाम करता हूँ ! साथ ही साथ सभी नेक ख्वाह मोहतरम हजरात को कोटिशः नमन एवं ह्रदय तल से आभार ! सादर :)  

Comment by Saarthi Baidyanath on October 8, 2013 at 12:04pm

 आदरणीय डॉ. अनुराग सैनी साहब :

डॉक्टर साहेब ...जर्रा-नवाजी का बेहद शुक्रिया ..! नमन करता हूँ इस स्नेहाशीष के लिए :)

Comment by Saarthi Baidyanath on October 8, 2013 at 11:55am

जनाब शकील जमशेदपुरी साहिब और जनाब Abhinav Arun साहिब :

हजरात , आप सब ग़ज़ल के जानकार हैं! एक दो मिसरे अच्छे हो जाते हैं और आप लोगों का निर्मल स्नेह मिल जाता है ...लिखना सफल प्रतीत होने लगता है ! निःसंकोच बतलाईयेगा , शिल्प में कहीं चुक हो तो ...! स्नेह का अभिलाषी :)

Comment by Saarthi Baidyanath on October 8, 2013 at 11:48am

श्रीमती coontee mukerji जी : महाशया, शुक्रिया बहुत बहुत ! ह्रदय से आभार व्यक्त करता हूँ ! सादर :)

Comment by Saarthi Baidyanath on October 8, 2013 at 11:46am

श्रीमान गिरिराज भंडारी जी :

मान्यवर, ख़ाकसार को बहुत इज्जत बख्शी आपने .. शीशनत हूँ ! अपना स्नेह व मार्गदर्शन बनाये रखियेगा !..कोटि कोटि धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ इस अविस्मर्णीय टिप्पणी के लिए !..नमन स्वीकार करें :)

Comment by Saarthi Baidyanath on October 8, 2013 at 11:43am

आदरणीय Kapish Chandra Shrivastava जी : 

श्रीमान, बड़ी मेहरबानी आपकी , आपका स्नेह मिला सचमुच अच्छा लगा ! हिम्मत बढ़ाने के लिए हार्दिक आभार आपका ! नमन एवं अभिनन्दन :)

Comment by Sarita Bhatia on October 8, 2013 at 9:24am

आदरणीय सारथी जी खुबसूरत अशआर ,बधाई 

Comment by कल्पना रामानी on October 7, 2013 at 9:01pm

बहुत सुंदर ... हर शे'र लाजवाब... बहुत बहुत बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण भाई अच्छी ग़ज़ल हुई है , बधाई स्वीकार करें "
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"आदरणीय सुरेश भाई , बढ़िया दोहा ग़ज़ल कही , बहुत बधाई आपको "
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीया प्राची जी , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Jul 12
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Jul 10

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service