For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सीटें बढ़ाने से क्या होगा ?

देश में वैसे ही शिक्षा व्यवस्था के हालात ठीक नहीं है। ऐसी स्थिति में यदि तकनीकी शिक्षा की भी वैसी हालत हो तो फिर समझा जा सकता है कि मानव संसाधन मंत्रालय ने अब तक किस नीति पर काम किया है। तकनीकी षिक्षा के मामले में जो आंकड़े सामने आए हैं और जिस तरह के सवाल खड़े हुए हैं, उससे मंत्रालय की नीतियों पर भी प्रश्नचिन्ह लग गया है। हाल ही में मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल ने देश में इंजीनियरिंग शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए करीब 2 लाख सीटें बढ़ाने की बात कही है। उनके मुताबिक इससे देश के युवाओं को तकनीकी शिक्षा क्षेत्र में बेहतर मुकाम हासिल होगा, लेकिन यहां यह जानना भी जरूरी है कि देश में प्रत्येक साल करीब साढ़े चार लाख छात्र इंजीनियरिंग शिक्षा प्राप्त करते हैं। देश भर में लाखों की संख्या में छात्र, हर बरस इंजीनियरिंग की शिक्षा लेकर रोजगार की तलाश में निकल पड़ते हैं, लेकिन दिलचस्प बात यह है कि इंजीनियरिंग की शिक्षा लेने वाले इन लाखों छात्रों में से 60 से 70 प्रतिशत छात्रों को जॉब देने वाली कंपनियां काबिल नहीं मानती और उन्हें इंजीरियरिंग तकनीकी शिक्षा के लिहाज से नौकरी नहीं मिलती। हालात यहां तक बन जाते हैं कि लाखों रूपये खर्च कर कई साल पढ़ाई में लगाने वाले छात्र बेरोेजगारी से समझौता कर ऐसी नौकरी कम वेतन पर करने लग जाते हैं, जिसकी उम्मीद इंजीनियरिंग शिक्षा से नहीं थी, क्योंकि शुरूआत में इंजीनियरिंग शिक्षा को लेकर जिस तरह बड़े-बड़े सब्जबाग दिखाए जाते हैं, उससे तो छात्रों का सपना भी उतनी ही हवाईयां उड़ता है, लेकिन शिक्षा ग्रहण करने के बाद धरातल में आते-आते उनके सभी सपने चक्नाचूर हो जाते हैं।

दुनिया में युवाओं की संख्या भारत में सबसे अधिक है, इस तरह शिक्षा की हालत भी उतनी ही बेहतर होनी चाहिए, लेकिन ऐसी स्थिति फिलहाल यहां नहीं है। देश में गरीबीे हालात के कारण अधिकतर व्यक्ति अपने बच्चों को तकनीकी शिक्षा नहीं दिलवा पाते और वे पिछड़े के पिछड़े रह जाते हैं। यहां समझने वाली बात है कि तकनीकी शिक्षा की सीढ़ी, वही छात्र पार कर पाते हैं, जिनके अभिभावक आर्थिक रूप से सक्षम होते हैं। यह तो तय हो जाता है कि तकनीकी शिक्षा से एक बड़ा छात्र वर्ग अछूता रह जाता है और इस तरह वे विकास की मुख्यधारा से भी कट जाते हैं। यहां एक बात और है, जो छात्र लाखों रूपये खर्च कर किसी तरह पढ़ाई पूरी कर ले और जब किसी कंपनी में नौकरी के लिए कहीं जाए तो उसे अयोग्य बताया जाता है, ऐसी स्थिति में कहीं न कहीं, हमारी शिक्षा व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह खड़ा होता है। इन परिस्थितियों में अधिकतर छात्र इंजीनियरिंग की शिक्षा लेने के बाद बेरोजगारी का दंश झेलते, ठोकरे खाने मजबूर होते हैं।

यह बात सही है कि मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल द्वारा शिक्षा के स्तर सुधारने का लगातार प्रयास किया जा रहा है। निश्चित ही, देश में शिक्षा के बिगड़े हालात को महज कुछ बरसों में ठीक किए जाने की बात गलत होगी, लेकिन जिस तरह श्री सिब्बल ने इंजीनियरिंग शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए करीब 2 लाख सीटें बढ़ाने की बात कही है, उससे बिगड़े हालात में छात्रों का कोई भला होने वाला नही है। जाहिर है, इस निर्णय से छात्रों के एक वर्ग में उत्साह होगा, मगर यहां विचार करने वाली बात यह है कि महज सीटें बढ़ा देने से क्या होगा ?

देश में इंजीनियरिंग शिक्षा के बद्तर हालात के जैसे आंकड़े सामने आए हैं, उससे तो सरकार और मानव संसाधन मंत्रालय को इन समस्याओं से निपटने कोई बेहतर नीति बनानी चाहिए, जिससे छात्रों को इंजीनियरिंग की शिक्षा लेने के बाद योग्यता अनुरूप नौकरी मिल जाए। छात्रों को अयोग्य माने जाने के मामले में सरकार और मंत्रालय को सजग होने की आवश्यकता है और डिग्रियां बांटने के हो रहे कार्य पर रोक लगानी चाहिए। तकनीकी शिक्षा के लिहाज छात्रों को पुख्ता जानकारी मिले और इंजीनियरिंग शिक्षा की ऐसी नींव बने, जिससे उन्हें बाद में परेशानी न हो। जब छात्र बेहतर अध्ययन कर पास-आउट होंगे और कैम्पस चयन की परिपाटी शुरू की जाएगी तो छात्रों में प्रतिस्पर्धा भी देखी जाएगी और इससे शैक्षणिक स्तर में भी व्यापक सुधार आएगा। इंजीनियरिंग शिक्षा की गुणवत्ता को ध्यान में रखकर ही सीटें बढ़ाई जानी चाहिए, न कि केवल युवा छात्रों की संख्या को देखकर। यदि ऐसा किया जाता है कि उन इंजीनियरिंग कॉलेजों से सधे हुए इंजीरियर कम निकलेंगे, बल्कि ऐसे पढ़े-लिखे बेरोजगार उस शिक्षा की फैक्टी से बाहर आएंगे, जिसकी कीमत न तो किसी कंपनी में होगी और न ही, उस शिक्षा का कोई महत्व रह जाएगा, जिसे ग्रहण करने लाखों रूपये गंवाया गया। छात्रों के ऐसे हालात से अभिभावकों के विश्वास को भी ठेस पहुंचती है। इन बातों पर मानव संसाधन मंत्री को जरूर विचार करना चाहिए कि केवल सीटें बढ़ाने से कितना लाभ होगा ? यहां हमारा यही है कि सीटें तो बढ़ाई जाएं, किन्तु इस बात का भी ध्यान रखा जाए कि किसी भी सूरत में इंजीनियरिंग की शिक्षा प्राप्त करने के बाद लाखों की संख्या में छात्र, पढ़े-लिखे बेरोजगारों की कतार में न खड़े रहे ?

देश में शिक्षा के हालात को लेकर कुछ महीनों पहले प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह भी चिंता व्यक्त कर चुके हैं। इंजीनियरिंग शिक्षा में जिस तरह की बदहाली है और काबिल प्राध्यापकों व संसाधनों की कमी है, ऐसा ही हाल, स्कूली शिक्षा का भी है। प्रधानमंत्री ने ही इस बात को स्वीकार किया है कि देश में करीब 10 लाख योग्य शिक्षकों की कमी है, जिसके चलते शिक्षा व्यवस्था की हालत दिनों-दिन लचर होती जा रही है। उच्च शिक्षा के हालात किसी से छिपे नहीं है, यहां भी छात्रों की संख्या कमी होती जा रही है। किसी भी देश व समाज के सशक्त स्थिति बनाने में शिक्षा का अहम योगदान होता है, लेकिन लगता है, सरकार को इस बात की फिक्र नहीं है। देश की आबादी सवा अरब से उपर पहुंच गई है, इनमें युवाओं की तादाद अधिक है। सरकार, तकनीकी शिक्षा के माध्यम से देश को विकास के रास्ते पर ले जाना चाहती है, लेकिन इसके पहले उन खामियों को भी दूर किया जाना चाहिए, जिससे पूरी शिक्षा व्यवस्था की साख पर सवाल खड़ा हो रहा है। तब जाकर ही छात्रों को ऐसी तकनीकी शिक्षा का चौतरफा लाभ मिल पाएगा, अन्यथा सरकार नीति बनाकर लकीर पीटती रहेगी और छात्रों का भविष्य, वहीं का वहीं ठहरा रहेगा ?


राजकुमार साहू
लेखक इलेक्टानिक मीडिया के पत्रकार हैं

जांजगीर, छत्तीसगढ़
मोबा. - 098934-94714

Views: 204

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय मिथिलेश भाई, रचनाओं पर आपकी आमद रचनाकर्म के प्रति आश्वस्त करती है.  लिखा-कहा समीचीन और…"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ सर, गाली की रदीफ और ये काफिया। क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस शानदार प्रस्तुति हेतु…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service