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"एक लाख पचपन हजार..  एक

एक लाख पचपन हजार..  दो

एक लाख पचपन हजार..  तीन ..."

अधिकारी महोदय ने जोर से लकड़ी का हथौड़ा मेज पर दे मारा. रघुराज ठेकेदार की तरफ देखते हुए वे धीरे से मुस्कुरा दिए.

रघुराज ठेकेदार ने भी आँखों ही आँखों में अधिकारी महोदय को मुस्कुराते हुए अपनी सहमति जतायी और अपने मित्र मोहन के कंधे पर हाथ रख धीरे से बोल उठे,  ''ओये मोहन्या..चल भाई, हम भी अब अपना काम करें. अधिकारी महोदय के लिए पूरा इंतजाम करना है ''

दोनों खुश-खुश नीलामी स्थल से बाहर निकल गये...

 

जितेन्द्र ' गीत '

( मौलिक व् अप्रकाशित )

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Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 4, 2013 at 10:46pm

आदरणीय शिज्जू जी, भ्रष्टाचार सिर्फ सरकारी दफ्तरों या नौकरियों में ही नहीं बल्कि हर जगह मौजूद है, बस देखने और समझने को होना चाहिए, अपना स्नेह बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 4, 2013 at 10:41pm

आदरणीय लक्ष्मण जी, आपकी प्रतिक्रिया// लघु कथा स्वयं बोलती लग रही है,// से लेखनकर्म सफल हुआ, आपका हार्दिक आभार, स्नेहिल आशीर्वाद बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 4, 2013 at 10:37pm

आदरणीय योगराज जी, लघुकथा पर आपकी प्रतिक्रिया शिरोधार्य है, स्नेहिल मार्गदर्शन व् आशीर्वाद बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 4, 2013 at 10:24pm

आदरणीय डा. गोपाल जी, आपको व्यंग पसंद आया, यह रचना की सार्थकता का प्रमाण है अपना आशीर्वाद बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 4, 2013 at 10:22pm

आदरणीया कुंती जी, आपकी प्रतिक्रिया //लघु कथा वहीं जो सीमित शब्दों में बृहद अर्थ उजाकर करे.// से रचना धन्य हुई, आपका हार्दिक आभार , स्नेहिल आशीर्वाद बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 4, 2013 at 10:17pm

आदरणीय बृजेश जी, आपका हार्दिक आभार स्नेह व् मार्गदर्शन बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 4, 2013 at 10:16pm

आदरणीय राम शिरोमणि जी, आपका हृदय से आभार स्नेह बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 4, 2013 at 10:14pm

आदरणीया सरिता जी, आपका हार्दिक आभार स्नेहिल आशीर्वाद बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 4, 2013 at 10:12pm

आपकी उत्साहबर्धक प्रतिक्रिया से बड़ी ख़ुशी मिलती है, स्नेह बनाये रखियेगा आदरणीय चंद्रशेखर जी

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 4, 2013 at 10:09pm

आपने बिलकुल ठीक कहा, आदरणीय अखिलेश जी सिर्फ कडवी सच्चाइयों की भरमार है, देश की कहीं कोई चिंता न कुछ

आपका हार्दिक आभार, स्नेहिल आशीर्वाद बनाये रखियेगा

सादर!

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