For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

फल, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य, अगरबत्ती, कर्पूर

मिठाई, पूजा, आरती, दक्षिणा

चुपचाप ये सबकुछ ग्रहण कर लेगा

अगर देना चाहोगे जानवरों या इंसानों की बलि

उसे भी ये चुपचाप स्वीकार कर लेगा

पर जब माँ बनते हुए बिगड़ जाएगी तुम्हारी बहू या बेटी की हालत

तब उसे छोड़कर किसी बड़े अस्पताल में किसी बड़े आदमी की

बहू या बेटी के सिरहाने डाक्टरों की फ़ौज बनकर खडा हो जाएगा

जब किसी झूठे केस में गिरफ़्तार कर लिया जाएगा तुम्हारा बेटा

तब उसे छोड़कर किसी अमीर बाप के बिगड़े बेटे को बचाने के लिए

वकीलों की फ़ौज बनकर खड़ा हो जाएगा

जब तुम स्वर्ग जाने की आशा में

किसी तरह अपनी जिन्दगी के अंतिम दिन काट रहे होगे

तब ये किसी अमीर बूढ़े के लिए

धरती पर स्वर्ग का इंतजाम कर रहा होगा

ये तुम्हारा ईश्वर नहीं है

तुम्हारा ईश्वर तो कब का मर चुका है

अब जो दुनिया चला रहा है

वो ईश्वर पूँजीवादी है

---------

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 595

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 11, 2014 at 3:54pm

बहुत बहुत धन्यवाद गिरिराज भंडारी जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 11, 2014 at 3:53pm

बहुत बहुत शुक्रिया annapurna bajpai जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 11, 2014 at 3:52pm

बहुत बहुत शुक्रिया Akhand Gahmari जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 11, 2014 at 3:51pm

धन्यवाद Meena Pathak जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 11, 2014 at 3:51pm

शुक्रिया Shyam Narain Verma जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 11, 2014 at 3:51pm

तह-ए-दिल से शुक्रगुज़ार हूँ Arun Srivastava जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 11, 2014 at 3:50pm

बहुत बहुत शुक्रिया rajesh kumari जी

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on April 10, 2014 at 11:18pm

सच! वर्तमान के  ईश्वर का शायद यही रूप है, बहुत बढ़िया रचना आदरणीय धर्मेन्द्र जी, हार्दिक बधाई आपको


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 10, 2014 at 10:54pm

समाज की कड़वी सचाई को बयान करती आपकी कविता के लिये बधाई , आदरणीय धर्मेन्द्र भाई !!

Comment by annapurna bajpai on April 10, 2014 at 2:11pm

ये तुम्हारा ईश्वर नहीं है

तुम्हारा ईश्वर तो कब का मर चुका है

अब जो दुनिया चला रहा है

वो ईश्वर पूँजीवादी है......................... बहुत खूब !!! क्या बात है आ0 अखंड जी कहाँ से इतना गुस्सा ले आए । बहरहाल इस रचना                                                       के लिए बहुत बधाई स्वीकारें । 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
16 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
16 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
19 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
19 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
19 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी, बहुत धन्यवाद"
19 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी सादर नमस्कार। हौसला बढ़ाने हेतु आपका बहुत बहुत शुक्रियः"
19 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service