जिसने तोड़ा हज़ार हिस्सों में
दिल के वो बरक़रार हिस्सों में
रोए, मुस्काए, चीखे, झुंझलाए
दिल का निकला ग़ुबार हिस्सों में
सबसे बदतर रहा यह बटवारा
एक परवरदिगार हिस्सों में
रूह, कल्बो जिगर व साँसों के
वो अकेला शुमार हिस्सों में
हमको तसलीम है करो तकसीम
हाँ मगर शानदार हिस्सों में
आप शामिल रहे कहीं ना कहीं
ज़ीस्त के यादगार हिस्सों में
मौत साँसों की किश्ते आखिर थी
चुक गया सब उधार हिस्सों में
Asif Amaan
(मौलिक व अप्रकाशित)
Comment
बहरे खफ़ीफ मुसद्दस मखबून पर बहुत ही शानदार ग़ज़ल कही है आपने आसिफ भाई जी इस हेतु मेरी ओर से बधाई प्रेषित है स्वीकार कीजिये.
१. रोए, मुस्काए, चीखे, झुंझलाए... झुँझलाये होना चाहिए था.
२. रूह, कल्बो जिगर में, साँसों में
वो अकेला शुमार हिस्सो में... तकबुले रदीफ़ का दोष प्रतीत होता है आप भी देख लें.
३. हमको तसलीम है करो तकसीम... इसकी तक्तीअ २१२२, १२१२, २१२ है क्या २२ को २१२ किया जा सकता है मुझे भ्रम है.
laxman dhami ji behad shukriya aapki nawazish ka!!
Shyam Narain Verma ji bahut bahut shukriya aapko muhabbatoN ka!!
coontee mukerji saheba aapko sher pasand aaya, masarrat hui.. bahut shukriya!!
आदरणीय आसिफ भाई बेहतरीन ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई
वो कहीं ना कहीं रहा शामिल
ज़ीस्त के यादगार हिस्सो में............वाह! क्या बात कही. हार्दिक बधाई आदरणीय आसिफ साहब
हमको तसलीम है करो तकसीम
हाँ मगर शानदार हिस्सो में.....क्या बात है.
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति आदरणीय |
Meena Pathak saheba aapka ghazal pasand aai uske liye shukrguzaar hooN
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