जब बेटी घर से विदा हो जायेगी..
- शमशाद इलाही अंसारी "शम्स"
ये घर दरो दीवार सब तरसेंगे
जब बर्तन खन खन खनकेंगे
सारे पकवान फ़ीके पड़ जायेंगे
जब बेटी घर से विदा हो जायेगी.
बात बात पर उसका नाम
मेरी जुबां पे कभी तेरी जुबां पे
सांसें बहन की अटकी रह जायेगी
जब बेटी घर से विदा हो जायेगी.
वो जो दिन भर लडता था भैय्या
पापा जिसको धमकाते थे
ताकेगा दीवारों को चुपचाप
जब बेटी घर से विदा हो जायेगी.
फ़ूलों की रंगत तब कैसी होगी
खुश्बू भी फ़िर न सुहायेगी
चिड़ियों की चहक भी रुलायेगी
जब बेटी घर से विदा हो जायेगी
बागीचे की गिलहरी क्या भूखी होगी
गमलों में डालेगा अब कौन पानी
क्यारी अब सूखी हो जायेगी
जब बेटी घर से विदा हो जायेगी.
दादा की चाय की प्याली
भरी भी लगेगी अब खाली
दादी गुम सुम हो जायेगी
जब बेटी घर से विदा हो जायेगी.
तेरी सहेलियों की वो सारी बातें
कमरे से आती हंसने की आवाज़ें
मुंडेर की बुल बुल चुप हो जायेगी
जब बेटी घर से विदा हो जायेगी.
घर से दफ़्तर अब दूर होगा
मेरा सेहन अब सूना होगा
शायद ज़हन भी अब गीला होगा
जब बेटी घर से विदा हो जायेगी.
रख कर सिर पर बेटी के हाथ
बस बाप दुआ देता रह जायेगा
माँ बिलखती हुई रह जायेगी
जब बेटी घर से विदा हो जायेगी.
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रचनाकाल: फ़रवरी १६,२०११
Comment
Vandana Ji, aapko kavita pasand aayi, yahi badi baat hai...bahut bahut shukriya.
Sadar
Dr Anupama Bahen, bus aapki du'a hai...aapka sneh aur prem, ye sab karwa deta hai..warna ye sab mere buska kahan..
Saiprem sadar..::))
bahut hi badhiya prastuti shams sahab...pach ke achha laga
मुंडेर की बुल बुल चुप हो जायेगी
जब बेटी घर से विदा हो जायेगी
bahut hi badhiya kavita bhawo se bhari hui
ताहिर साहब, योगराज जी की बेटी की शादी है १९ फ़रवरी को..बस मेरी तरफ़ से एक तुच्छ सी भेंट है..आपने पंसद किया इसे तो बस जान में जान सी आ गयी..वरना मैं तो इस अहमकाना हरकत पर डर ही रहा था...खैर..आपका आभार..तहे दिल से.
सादर
/मुंडेर की बुल बुल चुप हो जायेगी
जब बेटी घर से विदा हो जायेगी./
पूरी कविता ढेरों सुन्दर भावनाओं को बटोरे हुए है. हार्दिक बधाई.
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