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ना रंग, ना रूप

ना छाया, ना धूप

ना ख्वाहिश, ना सपने

ना पराये, ना अपने

खाली धरती, सूना आसमाँ

ना चाहत कोई, ना अरमाँ

ना ख़ुशी, ना, कोई गम

ना सब, ना तुम, ना हम

चाबी भरा, एक जिन्दा खिलौना

हँसता मुस्कुराता ख्वाब सलोना 

बोझ सी साँसें, बोझिल आँखें

कुछ सुनी, कुछ अनसुनी बातें

हिलत, डुलती, नाचती चमड़ी

जाला बुनती, वक़्त की मकड़ी

चलता सफ़र थकती साँसें

अश्क़ भरी, मुस्कुराती आँखें

फ़र्ज़ के बंधन, रूह तड़पती

हाथों से जिंदगी की रेत सरकती

दिल भरा, ख़ामोश ज़ुबान

ना ये जहान, ना वो जहान

आना-जाना, फिर आना, जाना

थकन जन्मों की, चाह- सो जाना

बस.... सो जाना ......

"मौलिक व अप्रकाशित"

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Comment

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Comment by annapurna bajpai on June 3, 2014 at 11:16am

सुंदर भाव , बधाई आपको । 

Comment by RACHNA JAIN on June 3, 2014 at 9:59am

बहुत शुक्रिया माननीय शिज्जु शकूर जी ......


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on June 2, 2014 at 4:21pm

आदरणीया रचना जी भावाभिव्यक्ति बहुत अच्छी है शुभकामनायें
सादर,

कृपया ध्यान दे...

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