अभिराजभी..................................
तुम्हारा चेहरा जब आँखों के सामने होता है
जो कभी मेरे इस ह्रदय के राजदार थे
आज तेरे वियोग में ह्रदय मेर तड़पता है
तेरे ओ वादे इरादे तेरी ओ कसमे
आज मेरे ह्रदय के यादगार है,
गलत मै हूँ जो तुम्हें भुला न सका
तुम तो किये लाख बहाने
दिल लगाने से पहले तैयार थी
तुम्हारी योजनाये
मै तो बगैर योजना के ही दिल लगा बैठे
इस लिए यह गरीब-मजबूर दिल
मरा गया हर हाल में
बर्बाद हो गयी जिंदगी फेके तेरे हँसीं जाल में
अगर अब फंस ही गया हूँ तो क्यूँ न
पूरी तरह फंस जाऊँ
थोड़े से मिटने से क्या होगा
पूरी तरह क्यूँ न मिट जाऊँ
मुझे मिटाने की जो पाली है मन
में आशाए.
फिक्र ना कर ओ संग दिल मै
पूरी करूँगा तेरी ओ भी अभिलाषाएँ
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