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खुल कर जातिवाद करो यार !!

(जातिगत जनगणना को लेकर लिए गए फैसले के ऊपर )

अरे यार !!
कान में मत फुस्फुसाओ
खुलकर जाती पूछो ।
सरकारी लाइसेन्स ही मिल गया ..
.संसद के अन्दर
नेताओ की मुहर लग गयी यार ...
जातिगत जनगणना को लेकर ॥

अब इंटरवेऊ में
नहीं पूछा जाएगा
आपके रिसर्च का ज्ञान
भोतिक और रसायन विज्ञानं ॥
आपसे पूछा जाएगा ....
आपके जातिगत पेशे
कैसे दुहते हो गाय
कैसे कराते हो पूजा
कैसे बनाते हो जूता ...
पुनः लौटो यार
मनुवाद की ओर ॥

ओ मेरे परम प्रिय
प्रातः स्मरणीय
सर एडविन लुटियन द्वारा डिजाईन किये गए
१४४ खम्भों के अन्दर बैठने वालो
कुछ तो बक्शो .....

जाती बनानी है तो बनाओ न
अमीरों /गरीबो की जाति
डाकटरो की जाति
इंजीनिअरो की जाति
स्वतंत्रता सेनानियो की जाति
कवियो की जाति
लेखको की जाति
और सुनो ....
एक बेरोजगारों की भी
जाति बना लो यार
ताकि ये एक अलग पार्टी बना सकें ॥

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प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on June 7, 2010 at 8:19pm
क्या भिगो भिगो कर "छित्तर परेड" की है भाई ! वैसे तो सारी कविता ही बहुत सुंदर है मगर आपकी ये दो पंक्तियाँ मेरे दिल को छू गयीं :
//जाती बनानी है तो बनाओ न
अमीरों /गरीबो की जाति//
मेरे आपने ख्याल से भारत में सिर्फ ये ही दो जातियां है, बाकी बाँटने को तो जिंतनी मर्ज़ी टुकड़ों में बाँट ले कोई समाज को !
Comment by PREETAM TIWARY(PREET) on June 7, 2010 at 6:54pm
अब इंटरवेऊ में
नहीं पूछा जाएगा
आपके रिसर्च का ज्ञान
भोतिक और रसायन विज्ञानं ॥
आपसे पूछा जाएगा ....
आपके जातिगत पेशे
कैसे दुहते हो गाय
कैसे कराते हो पूजा
कैसे बनाते हो जूता ...
bahut hi badhiya aur sahi baat likha hia aapne...
bahut badhiya
Comment by Admin on June 7, 2010 at 12:05pm
ओ मेरे परम प्रिय
प्रातः स्मरणीय
सर एडविन लुटियन द्वारा डिजाईन किये गए
१४४ खम्भों के अन्दर बैठने वालो
कुछ तो बक्शो .....

बहुत खूब , बिलकुल स्पष्टता के साथ आपने अपनी बातो को कविता के माध्यम से रख दिया है, बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति, साधुबाद ,

कृपया ध्यान दे...

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