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रिश्ते सूखे फूल गुलाबों के

रिश्ते सूखे फूल गुलाबों के 
भूले जैसे हर्फ़ किताबों के
 
ये मिलना भी कोई मिलना है 
इस से अच्छे दौर हिजाबों के
 
सीधी सच्ची बातें कौन सुने 
शैदाई है लोग अजाबों के
 
दौर फकीरी का भी हो जाये 
कब तक देखें तौर रुआबों के 
 
 ना छिपता,ना पूरा दिखता है
पीछे जाने कौन नकाबों के
 
कई सवारों ने ठोकर खाई 
जाने किस ने राज रकाबों के
 
जारी देखो अब भी बेगारी 
गुजरे चाहे दौर नवाबों के  

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Comment by ASHVANI KUMAR SHARMA on April 5, 2011 at 9:29am
ganesh ji abhaaar
Comment by Saahil on March 31, 2011 at 12:04am
ये मिलना भी कोई मिलना है 
इस से अच्छे दौर हिजाबों के
umda ghazal!
Comment by ASHVANI KUMAR SHARMA on March 13, 2011 at 5:27pm
vivek ji aap ki meharbani ,karam,shukriya
Comment by ASHVANI KUMAR SHARMA on March 13, 2011 at 5:26pm
vandana ji abhaari hun
Comment by ASHVANI KUMAR SHARMA on March 13, 2011 at 5:25pm
baagi ji aap ka karam
Comment by विवेक मिश्र on March 12, 2011 at 11:29pm
गज़ब के ख़याल हैं. मतले से लेकर आखिर तक हरेक शे'अर बेहतरीन. डायरेक्ट दिल से दाद कबूल करिए अश्वनी जी.

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on March 12, 2011 at 8:29am

यू तो सभी शे'र अच्छे लगे किन्तु पूरी ग़ज़ल में जो सबसे ज्यादा touch किया वो शे'र है ..........

जारी देखो अब भी बेगारी 

गुजरे चाहे दौर नवाबों के

उम्द्दा शे'र , बधाई अश्वनी शर्मा जी |

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