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मिट्टी के खिलौने

मन बच्चा है बहलाने को 

मिट्टी के खिलौने बनायें 

किसी के सिर पर रखकर चोटी 

किसी के माथे तिलक लगायें 

किसी के मुँह पर लगा के दाढ़ी

किसी को सुन्दर साड़ी पहनायें 

किसी के सिर पर रखकर टोपी 

किसी के सिर पगड़ी पहनायें 

 

काश मानव हों मिट्टी के खिलौने 

 

मौला, पंडित ,फादर ,भाई 

गूँथ इन्हें सबको मिलायें

मिली जुली इस मिट्टी से फिर

नए नए आकार बनायें 

दाढ़ी किसी की चोटी बन जाये 

चोटी में दाढ़ी छुपायें  

टोपी किसी की पगड़ी बन जाये 

पगड़ी में टोपी छुपायें 

किसमें कितना कौन छुपा है 

कौन बताये? कौन बताये ?

भेदभाव सारे मिट जायें 

आओ सच्चा मानव बनायें 

इंसानों में इंसानियत जगायें 

...................................

मौलिक एवं अप्रकाशित ..

Views: 915

Comment

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Comment by Sarita Bhatia on February 19, 2015 at 10:20am

आदरणीय सोमेश कुमार जी हार्दिक आभार 

Comment by Sarita Bhatia on February 19, 2015 at 10:19am

आदरणीय परी श्लोक जी हार्दिक आभार 

Comment by Sarita Bhatia on February 19, 2015 at 10:18am

आदरणीय मिथिलेश जी .आदरणीय गिरिराज जी हार्दिक आभार 

Comment by Sarita Bhatia on February 19, 2015 at 10:17am

आदरणीय विरेंदर जी शुक्रिया 

Comment by Sarita Bhatia on February 19, 2015 at 10:16am

आदरणीय डॉ. गोपाल जी हार्दिक आभार 

Comment by Sarita Bhatia on February 19, 2015 at 10:15am

शुक्रिया आदरणीय विजय शंकर जी 

Comment by Sarita Bhatia on February 19, 2015 at 10:14am

आदरणीय हरी प्रकाश दूबे जी हार्दिक आभार 

Comment by somesh kumar on February 18, 2015 at 7:52pm

अलग अलग  चाकों से मिट्टी उठा कर उन्हें एक चाक पर घुमाने और सर्वमान्य  रचना को गढ़ने की अदभुत कल्पना पर हार्दिक बधाई |

Comment by Pari M Shlok on February 18, 2015 at 10:05am
आपको बधाई इस कविता हेतु कमाल की कल्पना ....!!

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 17, 2015 at 10:19pm

आदरणीया सरिता जी , बहुत प्यारी कल्पना की है आपने , काश ऐसा हो !! हार्दिक बधाइयाँ ॥

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