जनाजा जब उठे मेरा जरा तुम मुस्कुरा देना
दिये थे फूल जो तुमको जनाजे पे चढ़ा देना
गिराओ अश्क मत अपने बचा कर तुम इन्हें रख लो
चलो जब लाल जोड़े में इन्हें तब तुम बहा देना
वफा मेरीअगर तुमको कभी झूठी लगी हो तो
न आये चैन मर कर भी मुझे वो बद्दुआ देना
गलत खुद को समझना मत वफा मैं ही न कर पाया
न मुझ सा बेवफा कोई जमाने को बता देना
समझ लो प्यार में तुम से यही चाहत बची मेरी
कभी तुम कब्र पर आकर तराना इक सुना देना
अखंड गहमरी
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आदरणीया निधि प्ल्ास जी आपको नमन
आदरणीय गणेश जी ''वागी जी सुझाव एवं मार्गदर्शन के लिए आपको चरण स्पर्श
आदरणीया राजेश कुमारी जी सुझाव एवं मार्गदर्शन के लिए आपको चरण स्पर्श
आदरणीय गुरूवर गिरिराज भंडारी जी सुझाव एवं मार्गदर्शन के लिए आपको चरण स्पर्श
आदरणीय krishna mishra 'jaan'gorakhpuri जी आपको नमन
आदरणीय मिथिलेस वामनकर जी आपको नमन
वफा मेरीअगर तुमको कभी झूठी लगी हो तो
न आये चैन मर कर भी मुझे ऐसी दुआ तुम बददुआ देना.
अगर ऐसे कहें तो ...क्योंकि दुआ यानी good wish और यहाँ तो Bad Wish है.
गलत खुद को समझना मत वफा मैं ही न कर पाया
नहीं समझो गलत खुद को वफ़ा मैं ही न कर पाया
न मुझ सा बेवफा कोई जमाने को बता देना
यदि इस्लाह किया मिसरा उला पसंद आए तो रख लीजियेगा.
आदरणीय गहमरी साहब, ग़ज़ल पर इतना उम्दा प्रयास देख मन प्रसन्न है, अच्छी ग़ज़ल हुई है बहुत बहुत बधाई.
आदरणीय अखंड जी...सु.ऊऊ पर्ब .. बहुत ही सुन्दर गजल
गिराओ अश्क मत अपने बचा कर तुम इन्हें रख लो
चलो जब लाल जोड़े में इन्हें तब तुम बहा देना
वाह वाह हर शेर कोहिनूर के हीरे की तरह चमक रहा ,, बहुत ही सुन्दर भाव
पहली वाली कमेंट के लिए क्षमा चाहूँगा! कई विंडो ओपन होने के कारण गलती से यहाँ पोस्ट हो गयी!....सुन्दर गज़ल पर आपको ढेरों बधाई आ० अखंड गहमरी जी!
आ० अखंड गहमरी जी ,बहुत मार्मिक ग़ज़ल लिखी है बहुत खूब हार्दिक बधाई .जो बात आ० गिरिराज जी ने कही है वही बात मेरे दिमाग में भी तुरंत आई थी उनका कमेन्ट तो बाद में देखा ..बस वही मेरी भी इस्स्लाह है.
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