For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तराना इक सुना देना

जनाजा जब उठे मेरा जरा तुम मुस्‍कुरा देना

दिये थे फूल जो तुमको जनाजे पे चढ़ा देना

गिराओ अश्‍क मत अपने बचा कर तुम इन्हें रख लो

चलो जब लाल जोड़े में इन्‍हें तब तुम बहा देना

वफा मेरीअगर तुमको कभी झूठी लगी हो तो

न आये चैन मर कर भी मुझे वो बद्दुआ देना

गलत खुद को समझना मत वफा मैं ही न कर पाया

न मुझ सा बेवफा कोई जमाने को बता देना

समझ लो प्यार में तुम से यही चाहत बची मेरी

कभी तुम कब्र पर आकर तराना इक सुना देना

अखंड गहमरी

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 724

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Akhand Gahmari on April 17, 2015 at 8:24am

आदरणीया निधि प्‍ल्‍ास जी आपको नमन

Comment by Akhand Gahmari on April 17, 2015 at 8:24am

आदरणीय गणेश जी ''वागी जी सुझाव एवं मार्गदर्शन के लिए आपको चरण स्‍पर्श

Comment by Akhand Gahmari on April 17, 2015 at 8:23am

आदरणीया राजेश कुमारी  जी सुझाव एवं मार्गदर्शन के लिए आपको चरण स्‍पर्श

Comment by Akhand Gahmari on April 17, 2015 at 8:23am

आदरणीय गुरूवर गिरिराज भंडारी जी सुझाव एवं मार्गदर्शन के लिए आपको चरण स्‍पर्श

Comment by Akhand Gahmari on April 17, 2015 at 8:22am

आदरणीय krishna mishra 'jaan'gorakhpuri जी आपको नमन

Comment by Akhand Gahmari on April 17, 2015 at 8:22am

आदरणीय मिथिलेस वामनकर जी आपको नमन


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 14, 2015 at 5:20pm

वफा मेरीअगर तुमको कभी झूठी लगी हो तो

न आये चैन मर कर भी मुझे ऐसी दुआ तुम बददुआ देना.

अगर ऐसे कहें तो ...क्योंकि दुआ यानी good wish और यहाँ तो Bad Wish है.

गलत खुद को समझना मत वफा मैं ही न कर पाया

नहीं समझो गलत खुद को वफ़ा मैं ही न कर पाया 

न मुझ सा बेवफा कोई जमाने को बता देना

यदि इस्लाह किया मिसरा उला पसंद आए तो रख लीजियेगा.

आदरणीय गहमरी साहब, ग़ज़ल पर इतना उम्दा प्रयास देख मन प्रसन्न है, अच्छी ग़ज़ल हुई है बहुत बहुत बधाई. 

Comment by Nidhi Agrawal on April 14, 2015 at 3:15pm

आदरणीय अखंड जी...सु.ऊऊ पर्ब .. बहुत ही सुन्दर गजल 

गिराओ अश्‍क मत अपने बचा कर तुम इन्हें रख लो

चलो जब लाल जोड़े में इन्‍हें तब तुम बहा देना

वाह वाह हर शेर कोहिनूर के हीरे की तरह चमक रहा ,, बहुत ही सुन्दर भाव 

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on April 14, 2015 at 10:37am

पहली वाली कमेंट के लिए क्षमा चाहूँगा! कई विंडो ओपन होने के कारण गलती से यहाँ पोस्ट हो गयी!....सुन्दर गज़ल पर आपको ढेरों बधाई आ० अखंड गहमरी जी!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 14, 2015 at 10:36am

आ० अखंड गहमरी जी ,बहुत मार्मिक ग़ज़ल लिखी है बहुत खूब हार्दिक बधाई .जो बात आ० गिरिराज जी ने कही है वही बात मेरे दिमाग में भी तुरंत आई थी उनका कमेन्ट तो बाद में देखा ..बस वही मेरी भी इस्स्लाह  है.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सुरेद्र इन्सान जी, आपकी प्रस्तुति के लिए बधाई।  मतला प्रभावी हुआ है. अलबत्ता,…"
3 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आदरणीय सौरभ जी आपके ज्ञान प्रकाश से मेरा सृजन समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी"
19 hours ago
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
23 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 182 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

गजल - सीसा टूटल रउआ पाछा // --सौरभ

२२ २२ २२ २२  आपन पहिले नाता पाछानाहक गइनीं उनका पाछा  का दइबा का आङन मीलल राहू-केतू आगा-पाछा  कवना…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"सुझावों को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय सुशील सरना जी.  पहला पद अब सच में बेहतर हो…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . .

 धोते -धोते पाप को, थकी गंग की धार । कैसे होगा जीव का, इस जग में उद्धार । इस जग में उद्धार , धर्म…See More
yesterday
Aazi Tamaam commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"एकदम अलग अंदाज़ में धामी सर कमाल की रचना हुई है बहुत ख़ूब बधाई बस महल को तिजोरी रहा खोल सिक्के लाइन…"
yesterday
surender insan posted a blog post

जो समझता रहा कि है रब वो।

2122 1212 221देख लो महज़ ख़ाक है अब वो। जो समझता रहा कि है रब वो।।2हो जरूरत तो खोलता लब वो। बात करता…See More
Tuesday
surender insan commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। अलग ही रदीफ़ पर शानदार मतले के साथ बेहतरीन गजल हुई है।  बधाई…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान देने तथा अपने अमूल्य सुझाव से मार्गदर्शन के लिए हार्दिक…"
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"गंगा-स्नान की मूल अवधारणा को सस्वर करती कुण्डलिया छंद में निबद्ध रचना के लिए हार्दिक बधाई, आदरणीय…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service