मैं नहीं लिखता ;
कोई मुझसे लिखाता है !
कौन है जो भाव बन ;
उर में समाता है !
....................................
कौंध जाती बुद्धि- नभ में
विचार -श्रृंखला दामिनी ,
तब रची जाती है कोई
रम्य-रचना कामिनी ,
प्रेरणा बन कर कोई
ये सब कराता है !
मैं नहीं लिखता ;
कोई मुझसे लिखता है !
.........................................................
जब कलम धागा बनी ;
शब्द-मोती को पिरोती ,
कैसे भाव व्यक्त हो ?
स्वयं ही शब्द छाँट लेती ,
कौन है जो शब्दाहार
यूँ बनाता है ?
मैं नहीं लिखता
कोई मुझसे लिखाता है !
.............................................
सन्देश-प्रेषित कर रहा
वो अदृश्य कौन ?
हम अबोध क्या कहें !
जब वो स्वयं है मौन !
वो कवि से काव्य
अनुपम रचाता है !
मैं नहीं लिखता
कोई मुझसे लिखाता है !
शिखा कौशिक 'नूतन'
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