हुआ है प्यार में पागल सुनो अंन्जाम इस दिल का
न तेरी बात माना मैं लगा इल्जाम इस दिल का
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अँधेरा दूर हो करना जला, लो दिल सनम मेरा
न है जब जिन्दगी में तू न है क्या काम इस दिल का
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रही जब पास तुम मेरे बडा अनमोल था ये दिल
न अब कोई मुझे पूछे न है कुछ दाम इस दिल का
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तुम्हारा प्यार था जब तो बुलाते थे सभी दिलवर
सुना मैने पड़ा अब दिलजला हैै नाम इस दिल का
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खता कोई न है इसकी, मगर बदनाम तो है ये
न करता है वफा चर्चा हुआ अब आम इस दिल का
मौैलिक एवं अप्रकाशित अखंड गहमरी
Comment
सुन्दर रचना .
वाह !!! बहुत खूब ग़ज़ल हुई है। बधाई
आदरणीय अखंड भाई , बड़ी खूबसूरत ग़ज़ल कही है , दिली बधाइयाँ स्वीकार करें ॥
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