For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मैं कविता क्यों नहीं लिखता

ऐसा नहीं कि मुझे कविता, लिखनी नहीं आती
सच तो ये है कविता मुझसे लिखी नहीं जाती .

कविता लिखने की ललक में, ऐसे उठाता हूं मैं पैन
गर्भवती कोई जैसे छुपके, कच्चा आम लपकती है.
पर बेचारा कोरा कागज़, यूं सहमने लगता है
जैसे गुण्डों से घिरी, कोई अबला मिन्नत करती है.
शील-हरण तो रोज़ ही होते, बड़े शहर के चौराहों पर
लेकिन मुहल्ले की गलियों में, मैली आंख भी नहीं सुहाती.
इसीलिए तो कविता मुझसे लिखी नहीं जाती.

चाहूं तो किसी की झील सी आंखों
और बादल से काले बालों,
कमर लचकती, चाल हिरण सी
शहतूत से होंठों, सेब से गालों,
पर ऐसी सुंदर लिखूं कविता, कि पांऊं चुंबन का इनाम
फिर उसी कविता को छपवाकर, पा जाऊं गुठली के दाम
पर हिसाबी नहीं रहा ज़न्म से, चोरबाज़ारी भी नहीं आती

इसीलिए तो कविता मुझसे लिखी नहीं जाती

मैं जन-कवि कहला सकता हूं

व्यवस्था को दे के चार गालियां
या क्रान्ति के झुठे गीत लिखूं मैं
और बटोरूं खूब तालियां
हाथ में गीता झूठी गवाही, कोर्ट में तो रोज़ ही चलती
लेकिन सरस्वती मंदिर में 400बीसी हो नहीं पाती
इसीलिए तो कविता मुझसे लिखी नहीं जाती

या सुंदर-सुंदर शब्द छांट के
डिक्षनरी से मैं ले आऊं
शब्दों को ऐसा उलझा दूं
बहुत बड़ा विद्वान कहलाऊं
उलझी-उलझी गोल जलेबी, हलवाई तो रोज़ बनाते
लेकिन ऐसी गोल जलेबी कविता नहीं कभी कहलाती
इसीलिए तो कविता मुझसे लिखी नहीं जाती

औरों की कविता सदा-सुहागन,
छंद और लय के मेक-अप वाली
बिन सुर ताल की मेरी कविता,
मांग भी सूनी, गोद भी खाली .
डरता हूं कि बाकी कवियों में, मेरी कविता ऐसी दिखेगी
जैसे करवा-चौथ के दिन, विधवा फिरे कोई मुंह छुपाती
इसीलिए तो कविता मुझसे लिखी नहीं जाती

मैं कैसे बताऊं कि स्याही से लिखी नहीं जाती कोई कविता
इसे तो आंख के आंसू या फिर लहू पिलाना पड़ता है
अपनी पीड़ा गाते रहना, है सबसे बड़ा कमीनापन
इसे तो जग की पीड़ा को गले लगाना पड़ता है
कविता लिखना तो बांबी से फनियर नाग पकड़ने जैसा
जान हथेली रहे हमेशा , गज़ भर की ये मांगे छाती
इसीलिए तो कविता मुझसे लिखी नहीं जाती
ऐसा नहीं कि मुझे कविता, लिखनी नहीं आती

.
( मौलिक एवं अप्रकाशित )

Views: 1324

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by प्रदीप नील वसिष्ठ on November 15, 2015 at 7:16pm
मेरी कविता की इतनी तारीफ के लिए शुक्रिया सुनील भाई । काश ! सब कवि इसे एक बार पढ़ लें । इसलिए नहीं कि मुझे यश मिले बल्कि इसलिए कि यह जान समझ लें कि अच्छे और बुरे , सच्चे और छद्म कवि में क्या अंतर है ।
मैं अक्सर कविता नही लिखता तब तक तो बिलकुल नही जब तक कविता खुद अपने आप को मुझसे लिखवा न ले ।
मेरे पास दो साल से सिर्फ साढ़े तीन कविताएँ ही हैं । आत्म-मुग्ध नही हो पाता । कितनी ही रचनाएँ फाड़ कर फैंक चुका ।
बहरहाल मेरे ब्लॉग पर आने का शुक्रिया ।
Comment by प्रदीप नील वसिष्ठ on November 14, 2015 at 4:07pm

बहुत मेहरबानी  कल्पना जी  . मेरे ब्लॉग पर पधार कर मेरा मान बढ़ाया आपने 

Comment by प्रदीप नील वसिष्ठ on November 14, 2015 at 2:04pm

इधर आने का शुक्रिया , पंकज जी। आपने कविता के मर्म को समझा।  आभारी हूँ 

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on November 14, 2015 at 9:58am
क्या व्यंग है;बहुत बहुत बधाई आदरणीय

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अजय गुप्ता 'अजेय commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें आदरणीय गिरिराज जी।  नीलेश जी की बात से सहमत हूँ। उर्दू की लिपि…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. अजय जी "
4 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"मोर या कौवा --------------- बूढ़ा कौवा अपने पोते को समझा रहा था। "देखो बेटा, ये हमारे साथ पहले…"
5 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"जी आभार। निरंतर विमर्श गुणवत्ता वृद्धि करते हैं। अपनी एक ग़ज़ल का मतला पेश करता हूँ। पूरी ग़ज़ल भी कभी…"
5 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"क़रीना पर आपके शेर से संतुष्ट हूँ. महीना वाला शेर अब बेहतर हुआ है .बहुत बहुत बधाई "
5 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"हार्दिक स्वागत आपका गोष्ठी और रचना पटल पर उपस्थिति हेतु।  अपनी प्रतिक्रिया और राय से मुझे…"
6 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"आप की प्रयोगधर्मिता प्रशंसनीय है आदरणीय उस्मानी जी। लघुकथा के क्षेत्र में निरन्तर आप नवीन प्रयोग कर…"
6 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"अच्छी ग़ज़ल हुई है नीलेश जी। बधाई स्वीकार करें।"
6 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"मौसम का क्या मिज़ाज रहेगा पता नहीं  इस डर में जाये साल-महीना किसान ka अपनी राय दीजिएगा और…"
6 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"उपयोगी सलाह के लिए आभार आदरणीय नीलेश जी। महत्वपूर्ण बातें संज्ञान में लाने के लिए धन्यवाद। एक शेर…"
6 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आ. गिरिराज जी ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई ..मैं निजि रूप में दर्पण जैसे संस्कृतनिष्ठ शब्द को…"
8 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. गिरिराज जी "
8 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service