For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्रदीप नील वसिष्ठ
  • Male
Share on Facebook MySpace

प्रदीप नील वसिष्ठ's Friends

  • DIGVIJAY
  • Ashok Kumar Raktale

प्रदीप नील वसिष्ठ's Groups

 

प्रदीप नील वसिष्ठ's Page

Profile Information

Gender
Male
City State
हिसार ( हरियाणा )
Native Place
हिसार
About me
कम लिखता हूँ मगर बहुत अच्छा लिखता हूँ

प्रदीप नील वसिष्ठ's Photos

  • Add Photos
  • View All

प्रदीप नील वसिष्ठ's Videos

  • Add Videos
  • View All

प्रदीप नील वसिष्ठ's Blog

अन्ना , मेरे भरोसे मत रहना / प्रदीप नील

लगे रहो तुम मेरे प्यारे, पीछे मत हटना अन्ना हज़ारे

सोलह से अनशन ज़रूर करना, अब किसी से ज़रा न डरना

क्योंकि पूरा देश तुम्हारे साथ है

पर ये और बात है,

कि मैं नहीॅं आ पाऊंगा ।

क्योंकि बिजली चोरी करते पकड़ा गया था

ज़ुर्माना भरने अदालत जाऊंगा

मज़बूरी है वर्ना ज़़रूर आता , साथ तुम्हारे नारे लगाता

गली-गली में शोर है, हर एक नेता चोर है ।।

अन्ना, मैं सत्रह को भी नहीं आ पाऊंगा

नया मकान खरीदा है, रजि़स्ट्री कराने जाऊंगा

मैं वहां मौज़ूद रहा तो दो…

Continue

Posted on December 29, 2015 at 12:49pm — 2 Comments

हां, मैं हत्यारा हूं /प्रदीप नील

मैं खड़ा हूं आपकी अदालत में सर झुकाए

हांलाकि मेरे सर एक भी इलज़ाम नहीं है ।

और ये भी सच है कि दुनिया भर के पुलिस थानों में

किसी भी एफ आई आर में मेरा नाम नहीं है ।

पर इसका मतलब ये नहीं कि मैं निर्दोष हूं, बेचारा हूं

सच तो ये है कि मैं हत्यारा हूं,

हां मैं हत्यारा हूं



मैं हत्यारा हूं अपने बेटे के मासूम बचपन का

मैं हत्यारा हूं अपनी बेटी के खिलते हुए यौवन का

मैं हत्यारा हूं मां-बाप की बूढ़ी आस का

मैं हत्यारा हूं अपनी पत्नी के कमज़ोर से…

Continue

Posted on December 2, 2015 at 10:00am — 13 Comments

अब ज़रा थक सा गया हूं, मैं

दुनिया देती मुझे बधाई, कि मैं कितना संभल गया

मुझे ग्लानि, आंख में पानी, कि मैं इतना बदल गया

एक समय होता था जब मैं,

न्याय की बात पर अड़ जाता था

आग धधकती थी सीने में

हर जुल्मी से भिड़ जाता था

अब रोज़ द्रौपदी होती नंगी, खून ज़रा भी नहीं खौलता

कोई सूरज को भी चांद कहे तो, चुप रहता हूं नहीं बोलता

कहते हैं सब भला हुआ कि अब चुक सा गया हूं मैं

सच तो ये है लेकिन अब, ज़रा थक सा गया हूं मैं .

थक गया हूं झूठे रिश्तों  का, बोझ…

Continue

Posted on November 22, 2015 at 10:00am — 11 Comments

मैं कविता क्यों नहीं लिखता

ऐसा नहीं कि मुझे कविता, लिखनी नहीं आती

सच तो ये है कविता मुझसे लिखी नहीं जाती .

कविता लिखने की ललक में, ऐसे उठाता हूं मैं पैन

गर्भवती कोई जैसे छुपके, कच्चा आम लपकती है.

पर बेचारा कोरा कागज़, यूं सहमने लगता है

जैसे गुण्डों से घिरी, कोई अबला मिन्नत करती है.

शील-हरण तो रोज़ ही होते, बड़े शहर के चौराहों पर

लेकिन मुहल्ले की गलियों में, मैली आंख भी नहीं सुहाती.

इसीलिए तो कविता मुझसे लिखी नहीं जाती.

चाहूं तो किसी की झील सी आंखों…

Continue

Posted on November 13, 2015 at 6:30pm — 14 Comments

Comment Wall (2 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 1:57pm on August 19, 2018, TEJ VEER SINGH said…

जन्मदिन की हार्दिक बधाई आदरणीय प्रदीप नील वशिष्ठ जी।

At 3:32pm on November 13, 2015,
सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर
said…

आपका अभिनन्दन है.

ग़ज़ल सीखने एवं जानकारी के लिए

 ग़ज़ल की कक्षा 

 ग़ज़ल की बातें 

 

भारतीय छंद विधान से सम्बंधित जानकारी  यहाँ उपलब्ध है

|

|

|

|

|

|

|

|

आप अपनी मौलिक व अप्रकाशित रचनाएँ यहाँ पोस्ट (क्लिक करें) कर सकते है.

और अधिक जानकारी के लिए कृपया नियम अवश्य देखें.

ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतुयहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

 

ओबीओ पर प्रतिमाह आयोजित होने वाले लाइव महोत्सवछंदोत्सवतरही मुशायरा व  लघुकथा गोष्ठी में आप सहभागिता निभाएंगे तो हमें ख़ुशी होगी. इस सन्देश को पढने के लिए आपका धन्यवाद.

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Monday
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service