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भ्रष्टाचार पर कुछ दोहे

धन लालसा नष्ट करे बुद्धि बल व् ज्ञान
निष्ठा के सम्भार से होव चित्त महान l

भ्रष्टाचार में लिपट हुए भूले धर्म का पाठ
पड़ी जो लाठी न्याय की सब कुछ सुन सपाट l

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Comment by गिरिराज भंडारी on December 5, 2015 at 8:01pm

आदरणीय , दोहों के भाव अच्छे हैं , भावों के लिये आपको बधाई ॥ दोहे विधान सम्मत नहीं है , आपको यहाँ उपलब्ध दोहों के पाठों का अध्ययन करना चाहिये , ऐसा मुझे लगता है ।

Comment by kanta roy on December 4, 2015 at 7:07pm

बहुत बढ़िया दोहे हुए है ये आदरणीय निकुंज पाठक जी।  बधाई !

कृपया ध्यान दे...

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