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तेरा सिर्फ़ है आना बाक़ी--(ग़ज़ल)-- मिथिलेश वामनकर

2122—1122—1122—22

 

दिल तो है पास, तेरा सिर्फ़ है आना बाक़ी

और ये बात जमाने से छुपाना बाक़ी

 

ज़िंदगी इतनी-सी मुहलत की गुज़ारिश सुन लो

आखिरी क़िस्त है साँसों की चुकाना बाक़ी

 

फिर सियासत ने सभी दांव बराबर खेले

अब तो मज़हब की वही आग लगाना बाक़ी

 

फिर नई पौध को मारा है इसी जुमले ने-

“अब न वो लोग, न वैसा है ज़माना बाक़ी”

 

बस सियासत से है लबरेज अदब की दुनिया

अब न शायर का कोई ठौर ठिकाना बाक़ी

 

शहर पूरा ही सजाया है, ज़रा देर मगर

सिर्फ़ फुटपाथ से बिस्तर का हटाना बाक़ी

 

आज ख़्वाबों के सभी पंख कुतर देता पर

इस परिंदे को जरा सा है उड़ाना बाक़ी

 

दास्ताँ दर्द की हमने तो सुना दी लेकिन

अपनी आँखों से वही दर्द बताना बाक़ी

 

दे चुका हूँ मैं नसीहत का पिटारा लेकिन

सिर्फ़ बेटे को जरा आँख दिखाना बाक़ी

 

 

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(मौलिक व अप्रकाशित) © मिथिलेश वामनकर
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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 7, 2017 at 11:49pm

आदरणीय सुरेन्द्र जी, सराहना के लिए बहुत बहुत धन्यवाद. आभार. सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 7, 2017 at 11:48pm

आदरणीया अमिता जी, सराहना हेतु हार्दिक आभार, बहुत बहुत धन्यवाद. सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 7, 2017 at 11:48pm

आदरणीय बृजेश जी, सराहना हेतु आभार. सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 7, 2017 at 11:47pm

आदरणीय राम आसरे जी, सराहना हेतु हार्दिक आभार. सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 7, 2017 at 11:46pm

आदरणीय बड़े भाई धर्मेन्द्र सिंह जी, सराहना हेतु हार्दिक आभार. सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 7, 2017 at 11:43pm

आदरणीय सतविन्द्र जी, आपको ग़ज़ल पसंद आई जानकार खुश हूँ. इस सराहना हेतु आभार व्यक्त करता हूँ. बहुत बहुत धन्यवाद. सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 7, 2017 at 11:43pm

आदरणीय विजय शंकर सर, आपको यह प्रयास पसंद आया. जानकार आश्वस्त हूँ. सराहना हेतु हार्दिक आभार. सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 7, 2017 at 11:42pm

आदरणीय अमित जी, हार्दिक आभार सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 7, 2017 at 11:41pm

आदरणीय रवि जी, आपकी विस्तृत प्रतिक्रिया पाकर अभिभूत हूँ. सराहना हेतु हार्दिक आभार. धन्यवाद. सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 7, 2017 at 11:39pm

आदरणीया कांता जी, विस्तृत प्रतिक्रिया हेतु आभार. सादर 

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