(1)
आया बसंत
मेरा मन मलंग
रंगों के संग
.
(2)
पीली सरसों
इठलाती खेतों में
मलय संग
(3)
मुदित पुष्प
सज कर रंगों से
भौंरों के संग
.
(4)
अमराई में
कोयल की कुहुकें
जल तरंग
.
(5)
विरह गीत
मंजुल होठों पर
अश्रु के संग
.
(6)
तान सुरीली
दूर उपवन में
राधा के संग
.
(7)
लाल अगन
दहके उपवन
टेसू के संग
.
(8)
झूमे समीर
होकर मतवाला
मधूक संग
.
(9)
बौराया आम
इठलाकर नाचे
समीर संग
.
(10)
नव कुसुम
करते अभिसार
मधुप संग
.
(11)
सिमटा जाड़ा
झांका बसंत ने
फागुन संग
.
(12)
जीने की इच्छा
हो रही बलवती
हेमंत संग
अरुण गुप्ता
स्वरचित एवं मौलिक
11/02/2016
लखनऊ
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