For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

व्यंग्य - मुफ्तखोरी की बीमारी

बीमारी की बात करते हैं तो हर व्यक्ति, कोई न कोई बीमारी से ग्रस्त नजर जरूर आता है। बीमारी की जकड़ से यह मिट्टी का शरीर भी दूर नहीं है। सोचने वाली बात यह है कि बीमारियों की तादाद, दिनों-दिन लोगों की जनसंख्या की तरह बढ़ती जा रही है। जिस तरह रोजाना देश की आबादी बढ़ती जा रही है और विकास के मामले में हम विश्व शक्ति बनें न बनें, मगर इतना जरूर है कि यही हाल रहा तो जनसंख्या की महाशक्ति अवश्य कहलाएंगे। जनसंख्या बढ़ने के साथ ही बीमारियां भी हमारे शरीर के जरूरी हिस्से होती जा रही हैं। जैसे अलग-अलग तरह से लोगों के नाम होते हैं, वैसे ही आज शरीर में नई-नई तरह की बीमारियां पसरती जा रही हैं।
जब हम बढ़ती बीमारियों की बात कर रहे हैं तो अभी देश में पनप रही एक नई बीमारी की चर्चा होना स्वाभाविक लगता है और वह है, मुफ्तखोरी की बीमारी। जिसे देखो, उसमें इस बीमारी की चाहत नजर आती है। एक बात है, कई तरह की बीमारियों से शरीर को नुकसान पहुंचता है, मगर मुफ्तखोरी की बीमारी से शरीर खूब फलता-फूलता है। मेहनत की कमाई के बाद पेट में गए भोजन को पचाने के लिए हाथ-पैर मारना पड़ता है, लेकिन मुफ्तखोरी की कमाई को पचाया नहीं जाता है, बल्कि उसे हजम कर लिया जाता है। मुफ्तखोरी की कमाई से पेट इतना भर जाता है, जैसे लगता है कि इसके आगे, दुनिया भर की संपत्ति कम पड़ जाएगी।
देश में मुफ्तखोरी पूरे चरम पर है। जिसे जब मौका मिलता है, हर कोई अपना उल्लू सीधा करने से पीछे नहीं हटता। जब मुफ्तखोरी की सुगबुगाहट शुरू होती है तो हर कोई अपना हाथ आगे रखना चाहता है। मुफ्तखोरी हमारे खून में समा गई हैं, तभी तो भ्रष्टाचार, शिष्टाचार बन गया है। घर बैठे कोई चीज मुफ्त मंे मिले तो भला उसे कौन हाथ से जाने देगा ? ऐसा ही चल रहा है, सभी जगह। जनता वोट के नाम पर नेताओं के मुफ्तखोरी की शिकार होती हैं, फिर नेता पूरे पांच साल, मुफ्त में जनता को शिगूफा थमाती रहती है। जहां-तहां देखो, केवल मुफ्तखोरी की चिंता है। सरकार तो अपने फायदे के लिए मुफ्तखोरी को गिफ्ट में दे रही है और जनता भी ऐश को पूरी तरह कैश कर रही है। क्या कहें, आजकल एक नई परिपाटी चल पड़ी है, चिल्हर से मुफ्तखोरी की। ऐसा लगता है, जैसे बाजार में एक, दो व पांच रूपये की कोई अहमियत ही नहीं है। यहां भी केवल मुफ्तखोरी का तमगा गड़ा नजर आता है। जब, सब जगह मुफ्तखोरी का जलवा कायम है तो जाहिर सी बात है, उसका असर मुझ पर भी थोड़ी-बहुत तो होगी ही। लिहाजा मैं भी कुछ लिखने के पहले सोचने लगता हूं कि कहीं से तो कोई मुफ्त में विचार दे जाए, जिससे मैं एक सफल लिख्खास बनने कामयाब हो सकूं।

राजकुमार साहू
लेखक व्यंग्य लिखते हैं

जांजगीर, छत्तीसगढ़
मोबा - 098934-94714

Views: 264

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
55 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी प्रदत्त विषय पर आपने बहुत सुंदर रचना प्रस्तुत की है। इस प्रस्तुति हेतु…"
7 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी, अति सुंदर रचना के लिए बधाई स्वीकार करें।"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"गीत ____ सर्वप्रथम सिरजन अनुक्रम में, संसृति ने पृथ्वी पुष्पित की। रचना अनुपम,  धन्य धरा…"
12 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ पांडेय जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
15 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"वाह !  आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त विषय पर आपने भावभीनी रचना प्रस्तुत की है.  हार्दिक बधाई…"
16 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ पर गीत जग में माँ से बढ़ कर प्यारा कोई नाम नही। उसकी सेवा जैसा जग में कोई काम नहीं। माँ की…"
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय धर्मेन्द्र भाई, आपसे एक अरसे बाद संवाद की दशा बन रही है. इसकी अपार खुशी तो है ही, आपके…"
yesterday
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

शोक-संदेश (कविता)

अथाह दुःख और गहरी वेदना के साथ आप सबको यह सूचित करना पड़ रहा है कि आज हमारे बीच वह नहीं रहे जिन्हें…See More
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service