For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आँख का पानी


होने लगा है कम अब आँख का पानी,
छलकता नहीं है अब आँख का पानी|


कम हो गया लिहाज,बुजुर्गों का जब से,
मरने लगा है अब आँख का पानी|


सिमटने लगे हैं जब से नदी,ताल,सरोवर
सूख गया है तब से आँख का पानी|


पर पीड़ा मे बहता था दरिया तूफानी
आता नहीं नजर कतरा ,आँख का पानी|


स्वार्थों कि चर्बी जब आँखों पर छाई
भूल गया बहना,आँख का पानी|


उड़ गई नींद माँ-बाप कि आजकल
उतरा है जब से बच्चों कि आँख का पानी|


फैशन के दौर कि सबसे बुरी खबर
मर गया है औरत कि आँख का पानी|


देख कर नंगे जिस्म और लरजते होंठ
पलकों मे सिमट गया आँख का पानी|


लूटा है जिन्होंने मुल्क का अमन ओ चैन
उतरा हुआ है जिस्म से आँख का पानी|


नेता जो बनते आजकल,भ्रष्ट,बे ईमान हैं
बनने से पहले उतारते आँख का पानी|


डॉ अ कीर्तिवर्धन
09911323732

Views: 370

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 11, 2012 at 12:52pm

’आँख का पानी’ की ज़मीन पर बेहतर भाव लिये यह रचना पसंद आयी. कीर्तिवर्द्धनजी को सादर बधाइयाँ.

Comment by dr a kirtivardhan on January 11, 2012 at 10:24am

aap sab mitron dwara hausala afzai ke liye shukriya.

Comment by Rash Bihari Ravi on May 10, 2011 at 1:46pm
bahut khubsurat lajabab

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 10, 2011 at 1:41pm
आदरणीय किर्तिवर्धन जी, बहुत ही सुंदर ख्याल है, भाव पक्ष बहुत ही मजबूत है, बधाई आपको |
Comment by Abhinav Arun on May 8, 2011 at 7:31pm

वाह बहुत खूब सामयिक और सशक्त रचना बधाई स्वीकारें -

फैशन के दौर कि सबसे बुरी खबर
मर गया है औरत कि आँख का पानी|


देख कर नंगे जिस्म और लरजते होंठ
पलकों मे सिमट गया आँख का पानी|

प्रभावीव सटीक प्रहार कीर्तिवर्धन जी को  साधुवाद !!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service