For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्यार की वैज्ञानिक व्याख्या

क्या?
प्यार की वैज्ञानिक व्याख्या चाहिए
तो सुनो
ब्रह्मांड का हर कण
तरंग जैसा भी व्यवहार करता है
और उसकी तरंग का कुछ अंश
भले ही वह नगण्य हो
ब्रह्मांड के कोने कोने तक फैला होता है

आकर्षण और कुछ नहीं
इन्हीं तरंगों का व्यतिकरण है
और जब कभी इन तरंगों की आवृत्तियाँ
एक जैसी हो जाती हैं
तो तन और मन के कम्पनों का आयाम
इतना बढ़ जाता है
कि आत्मा तक झंकृत हो उठती है
इस क्रिया को विज्ञान अनुनाद कहता हैं
और आम इंसान
प्यार

इसलिए अगर सच्चा प्यार चाहिए
तो शरीर नहीं
आवृत्ति मिलाने की कोशिश करो
मगर यह काम
जितना आसान दिखता है
उतना है नहीं
क्योंकि हो सकता है
कि जिससे तुम्हारी तरंगों की आवृत्ति मिले
वो पत्थर हो, पेड़ हो
अथवा
वो इस धरती पर हो ही नहीं

Views: 476

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on June 15, 2011 at 3:06pm
वंदना जी, बागी जी, विनय जी एवं अरुण जी रचना पसंद करने के लिए आप सबका धन्यवाद।
Comment by vinay sharma on May 13, 2011 at 3:56pm

aap ne bahut pyar se pyar ki paribhasa kahi hai

 

 

Comment by vinay sharma on May 13, 2011 at 3:55pm
lagata hai aap physics ke professor hai , aap ko pata hai bina pyar me pade koi quantum physics ko nahi samajh sakata hai
Comment by Abhinav Arun on May 13, 2011 at 1:15pm
बहुत बढ़िया धर्मेन्द्र जी ये प्यार का वैज्ञानिक पहलू भी खूब है ! अच्छी और रोचक रचना के लिये बधाई !!

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 13, 2011 at 9:56am

बहुत खूब धर्मेन्द्र जी, प्यार के पीछे छुपे वैज्ञानिक रहस्य को ढूंढने की कोशिश है यह रचना, सच ही तो कहा है कि प्यार एक अनुनाद है , जब तक दो फ्रीक्वेंसी मैच नहीं होंगे, प्यार होना मुश्किल है |

बधाई धर्मेन्द्र भाई |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Monday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Sunday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service