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राष्ट्र व इसके सपूतों को समर्पित

राष्ट्र मेरा है अलबेला है इसकी छवि निराली,
लाल हुए है पैदा ऐसे जिनके बोल गए न खाली।

क्या लाला क्या वल्लभ जी ?
गोद में अपनी इसने तो रानी लक्ष्मी भी है पाली ।

अरे उनकी तो बात ही क्या जो फाँसी चढ़ गए हँसते-हँसते,
न जाने कितने वीरों को दिखा दिए थे आजादी के रस्ते।

आजाद था आजाद रहेगा करलो चाहे जितनी मनमानी,
अभी तो बस शुरू हुई है उन आर्यों की ये अमर कहानी।

श्री राम की मर्यादा है जो हमने तुझको माफ़ किया,
मत भूल कि उस बिस्मिल ने फिर न जाने कितनो को साफ किया।

खैरात की आजादी न समझों वीरों ने जान गंवाई है,
मत भूलो वो कुर्बानी जो उनके खून से तुमने पायी है।

*साक्षी आर्या*

(मौलिक व अप्रकाशित)

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Comment by Mohammed Arif on May 8, 2017 at 12:48pm
प्रिय साक्षी शर्मा जी आदाब, देशभक्ति से ओतप्रोत अच्छी रचना कहने का प्रयास है आपका । किसी छंद में बंधकर रचना करें तो बेहतर होगा । ढेरों बधाई स्वीकार करें । बाक़ी गुणीजन अपनी राय देंगे ।

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