For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

विज्ञान ??? ईश्वर !!! (व्यंग्य-रचना)

प्रभु ! तू बता अपनी
सच्चाई,
क्योंकि,तू अब नहीं बचेगा,
देख,मनुष्य ने ली है
अंगड़ाई.
क्या तू है ?
तेरा अस्तित्व है ?
देख,
विज्ञान आ गया है,
तेरा अस्तित्व,
हटा गया है.
तू खुद सोच,
मनुष्य लगाता है,
तेरे कार्यों में अड़चन,
वह तेरा करता है खंडन.
वह खुद ही लगा है,
बनाने,बिगाड़ने
सपनों को,अपनों को.
वह खुद ही बन बैठा है
भगवान ?
अगर तू है तो रुका क्यों है,
भाग जा,
जा ग्रहों पर छिप जा.
ना,ना,ना
वहाँ मत जाना,
देख,अब
आदमी के कदम,
थमेंगे नहीं,रुकेंगे नहीं,
वह तो ग्रहों पर
खाता है खाना.
अस्तु वहाँ छिपोगे तो,
पकड़े जाओगे,
कोई तेरी पूजा नहीं करेगा,
अपितु मारे जाओगे.
सोच खुद ही सोच,
मनुष्य कितना आगे निकल गया है.
वह कहता है कि
भगवान है झूठ,
कहीं उसका कोई
अस्तित्व नहीं,
विज्ञान ही है भगवान
सब कहीं.
तो फिर मैं तूझे
क्यों पूजूं ?
विज्ञान को ही पूजूंगा,
अभी नहीं,
उस दिन,
जिस दिन विज्ञान,
मौत को मार भगाएगा,
सब होंगे अमर,
किसी को तेरा नहीं होगा डर,
उस दिन,अहा उस दिन,
कितना खुश होऊँगा मैं,
खुशी,आनंद से,
झूम जाऊँगा मैं.
तब चिल्लाऊँगा,जोर जोर से,
मेरा प्रभु तो विज्ञान है,
और वैज्ञानिक हैं उसकी आकृति,
तब भाड़ में जाए तुम
और तेरी प्रकृति.
उस दिन हाँ उस दिन,
मैं तेरी पूजा करना,
बंद करूँगा,
देख हँस मत,
सिर्फ उसी दिन तक,
तुझे पूजता रहूँगा.

-प्रभाकर पाण्डेय

Views: 379

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by कमलेश भगवती प्रसाद वर्मा on July 6, 2010 at 10:27pm
AAPNE TO ''BHAGWAN'' AUR 'VIGYAN' KE BEECH ME ''INSAN'' KO FANSA DIYA .PANDEY JI ......BADHIYA AVM BHAV POORN RCHNA..!!

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 6, 2010 at 8:30am
उस दिन हाँ उस दिन,
मैं तेरी पूजा करना,
बंद करूँगा,
देख हँस मत,
सिर्फ उसी दिन तक,
तुझे पूजता रहूँगा.

वास्तव मे ईश्वर हँस ही रहा होगा, कि जो तुम आज जान रहे हो उसका निर्माण तो मैने युगो युगो पहले ही कर दिया था, तुम मनुष्यो को तो अभी जानकारी ही हो रही है वो भी अंशतः और उसपर इतना अहंकार, क्या होगा अगर मैं सिर्फ़ 2 मिनट के लिये आक्सीजन को रोक लू, तापमान मे 50 डिग्री की बढ़ोतरी कर दू , शायद यही कुछ सर्वशक्तिमान सोच रहे होंगे और हमारी नादानियो पर मुस्कुरा रहे होंगे, विज्ञान लाख तरक्की कर ले परंतु उस शक्तिशाली परम पिता परमेश्वर के अस्तित्व को नकार नही सकता,
बहुत बढ़िया रचना है प्रभाकर भईया,

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on July 5, 2010 at 11:20pm
प्रकृति में मानव की दखलंदाजी बढ़ती ही जा रही है.....एक समय था जब मनुष्य चाँद पर कदम रख कर गौरवान्वित महसूस कर रहा था....आज चाँद पर कालोनियां बनाने की तैयारियां चल रही है.....वाकई में भगवान भी सोचते होंगे की मैंने ये इन्सान नामक क्या बला बनायीं है जो खुद मेरे ही अस्तित्व को नकार रहा है.....अपनी इस कविता के मध्यम से उन लोगों पर करारा तंज़ कर दिया है प्रभाकर जी आपने जो ईश्वर की प्रभुसत्ता को चुनौती देते नज़र आते है.......धन्यवाद

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted discussions
3 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील भाई , अच्छे दोहों की रचना की है आपने , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , दिल से बधाई स्वीकार करें "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , खूब सूरत मतल्ले के साथ , अच्छी ग़ज़ल कही है , हार्दिक  बधाई स्वीकार…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service