For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

योगिराज देवरहा बाबा

योगिराज देवरहा बाबा :- देवरिया सुप्रसिद्ध संत ब्रह्मर्षि योगिराज देवरहा बाबा की कर्मस्थली रह चुकी है । देवरिया क्षेत्र की जनता हार्दिक रूप से शुक्रगुजार है उस परम मनीषी, योगी की जो देवरिया क्षेत्र को अपना निवास बनाया, इस क्षेत्र की मिट्टी को अपने पावन चरणों से पवित्र किया और अपने ज्ञान एवं योग की वर्षा से श्रद्धालु जनमानस को सराबोर किया । इस योगी की कृपा से देवरिया जनपद विश्वपटल पर छा गया । देवरहा बाबा ब्रह्म में विलीन हो गए लेकिन उनके ईश्वरी गुणों की चर्चा करते हुए आज भी श्रद्धालु अघाते नहीं हैं । देवरहा बाबा के भक्तों की सूची में महान राजनीतिज्ञ माननीया स्वर्गीय श्रीमती इंदिरा गाँधी से लेकर माननीय अटल बिहारी बाजपेयी तक हैं । जनता जनार्दन की सुने तो देवरहा बाबा एक परम सिद्ध महापुरुष थे, इसमें कोई दो राय नहीं ।
निवास :- देवरहा बाबा के मूल निवास के बारे में लोगो में भ्रम है पर ऐसा कहा जाता है कि देवरहा बाबा कहीं बाहर से आए । देवरहा बाबा ने देवरिया जनपद के सलेमपुर तहसील में मइल (एक छोटा शहर) से लगभग एक कोस की दूरी पर सरयू नदी के किनारे एक मचान पर अपना डेरा डाल दिया और धर्म-कर्म करने लगे ।


व्यक्तित्व :- बहुत ही कम समय में देवरहा बाबा अपने कर्म एवं व्यक्तित्व से एक सिद्ध महापुरुष के रूप में प्रसिद्ध हो गए । बाबा के दर्शन के लिए प्रतिदिन विशाल जन समूह उमड़ने लगा तथा बाबा के सानिध्य में शांति और आनन्द पाने लगा । बाबा श्रद्धालुओं को योग और साधना के साथ-साथ ज्ञान की बातें बताने लगे । बाबा का जीवन सादा और एकदम संन्यासी था । बाबा भोर में ही स्नान आदि से निवृत्त होकर ईश्वर ध्यान में लीन हो जाते थे और मचान पर आसीन होकर श्रद्धालुओं को दर्शन देते और ज्ञानलाभ कराते थे ।
बाबा की लीला :- अब आइए थोड़ा बाबा के ईश्वरी गुणों पर चर्चा की जाए ।
श्रद्धालुओं के कथनानुसार बाबा अपने पास आने वाले प्रत्येक व्यक्ति से बड़े प्रेम से मिलते थे और सबको कुछ न कुछ प्रसाद अवश्य देते थे । प्रसाद देने के लिए बाबा अपना हाथ ऐसे ही मचान के खाली भाग में रखते थे और उनके हाथ में फल, मेवे या कुछ अन्य खाद्य पदार्थ आ जाते थे जबकि मचान पर ऐसी कोई भी वस्तु नहीं रहती थी । श्रद्धालुओं को कौतुहल होता था कि आखिर यह प्रसाद बाबा के हाथ में कहाँ से और कैसे आता है ।
लोगों में विश्वास है कि बाबा जल पर चलते भी थे और अपने किसी भी गंतव्य स्थान पर जाने के लिए उन्होंने कभी भी सवारी नहीं की और ना ही उन्हें कभी किसी सवारी से कहीं जाते हुए देखा गया । बाबा हर साल कुंभ के समय प्रयाग आते थे ।
लोगों का मानना है कि बाबा को सब पता रहता था कि कब, कौन, कहाँ उनके बारे में चर्चा हुई ।
हमारे बाबाजी (दादा) पंडित श्रीरामवचन पाण्डेय बताते हैं कि एक बार वे कुछ लोगों के साथ बहुत सुबह ही देवरहा बाबा के दर्शन के लिए पहुँचे और ज्योहीं मेरे दादाजी और अन्य भक्तों ने देवरहा बाबा को प्रणाम किया त्योंही देवरहा बाबा ने मेरे दादाजी की ओर इशारा करते हुए कहा कि भो पंडित कीर्तन सुनाओ । मेरे दादाजी ने कहा कि बाबा मुझे कीर्तन नहीं आता । इसपर देवरहा बाबा ने कहा कि 'हरे राम, हरे राम, राम राम हरे हरे...' यह भी तो कीर्तन ही है फिर सभी श्रद्धालुओं ने मिलकर नामकीर्तन किया ।
काफी दिनों तक देवरिया में रहने के बाद देवरहा बाबा वृंदावन चले गए । कुछ समय तक वहाँ रहने के बाद देवरहा बाबा सदा के लिए समाधिस्त हो गए । बोलिए संत शिरोमणि देवरहा बाबा की जय ।
--प्रभाकर पाण्डेय

Views: 1267

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 7, 2010 at 6:29pm
प्रभाकर भैया देवरहवा बाबा के बारे मैने भी अपने बुजुर्गो से बहुत कुछ सुना है, आज आप ने भी एक महान संत की यादो को ताज़ा कर दिया है, बहुत ही जानकारी से भरा है यह लेख, सादर आभार ,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। सार्थक टिप्पणियों से भी बहुत कुछ जानने सीखने को…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत का प्रयास अच्छा हुआ है। पर भाई रवि जी की बातों से सहमत हूँ।…"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

अच्छा लगता है गम को तन्हाई मेंमिलना आकर तू हमको तन्हाई में।१।*दीप तले क्यों बैठ गया साथी आकर क्या…See More
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। यह रदीफ कई महीनो से दिमाग…"
Tuesday
PHOOL SINGH posted a blog post

यथार्थवाद और जीवन

यथार्थवाद और जीवनवास्तविक होना स्वाभाविक और प्रशंसनीय है, परंतु जरूरत से अधिक वास्तविकता अक्सर…See More
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"शुक्रिया आदरणीय। कसावट हमेशा आवश्यक नहीं। अनावश्यक अथवा दोहराए गए शब्द या भाव या वाक्य या वाक्यांश…"
Monday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"परिवार के विघटन  उसके कारणों और परिणामों पर आपकी कलम अच्छी चली है आदरणीया रक्षित सिंह जी…"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन।सुंदर और समसामयिक लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Monday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। प्रदत्त विषय को एक दिलचस्प आयाम देते हुए इस उम्दा कथानक और रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीया…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service