अचानक कुछ होने का भय
कभी-कभी आत्मा को क्या पता क्यूँ..?
पहले से बोध करा देता है, कभी कभी सहसा
अचानक
ऐसा न हो कि
न छत्र न छाया न प्रथम सीढ़ी
और न ही कोई.....!
कहीं वक़्त का खोखलापन
मेरी आत्मा की गंभीरता
को तहस-नहस न कर दे..
मत भय खा चुप..! चुप व शांत रह
तू डरेगा तो क्या होगा..?
मत डर, कुछ नही होगा..रे
बस शांत होकर पीता जा..पीता जा
तुझे कभी कुछ नही होगा
लगने दे इल्जाम और लगाने दे
तू तो पालनहार है रे..पागल
सुन आ, बैठ मेरे पास,नजदीक और करीब
आराम से गहरी सांसो को छोड़ और
वापस गहरी ताज़ा सांसे खींच ले..
लेट जा, सुकून व इत्मिनान
बरक़रार रख अपना
वही, बचपन से अधेड़ता तक वाला
फिर अचानक
सुनो तो...इक बार...!
हाँ कहो..इत्मिनान से
आज वही रात है..न
हाँ..रे, मुझे सब पता है,
तू क्यूँ..परेशान है, और कोई
हो न हो..
सुनो...!
हाँ..कहो..
ऐसा न हो कि
न छत्र न छाया,न प्रथम सीढ़ी
और न कोई...!
फिर से..डर
चल...चुप , पीले..
कुछ ओर दिन-रात
वही सुकून, इत्मिनान और गहनता से
शाबाश...!
सो..जा
देख..सो जा,
भोर होने को है..!
जितेन्द्र ' गीत '
( मौलिक व् अप्रकाशित )
Comment
बहुत अच्छी रचना! आपको हार्दिक बधाई!
लिखते समय अक्षरियों की गलतियाँ एक अच्छी रचना को औसत बना देती हैं. जैसे सही शब्द 'इल्जाम' है 'इलजाम' नहीं. टंकण त्रुटियों के प्रति सावधान रहने की जरूरत होती है.
सादर!
आदरणीय जितेंद्र जी भावपूर्ण अभिव्यक्ति , बधाई आपको ।
बहुत सुंदर प्रस्तुति आदरणीय भाई जीतेन्द्र जी //हार्दिक बधाई आपको
बहुत सुंदर प्रस्तुति.
आदरणीय डा. आशुतोष जी, आपका बहुत बहुत आभार, स्नेह व् आशीर्वाद बनाये रखियेगा
सादर!
आपने अपना अमूल्य समय देकर, मुझे 'टंकण त्रुटीयो' के सुधार में सहायता कर, अपना ऋणी बना लिया, आपका हृदय से आभार आदरणीय प्रदीप जी, स्नेह व् आशीर्वाद बनाये रखियेगा
सादर!
आदरणीय विजय निकोर जी, कविता पर आपका आशीर्वाद, लेखनी धन्य हो गई, आप स्नेह व् आशीर्वाद युहीं बनाये रखियेगा
सादर!
आपकी उत्साहबर्धक प्रतिक्रिया से मुझे बहुत मनोबल मिलता है, आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय केवल जी, स्नेह बनाये रखियेगा
सादर!
आपने रचना को पसंद किया, आपका बहुत बहुत आभार, आदरणीय अमोद जी, स्नेह बनाये रखियेगा
सादर!
आदरणीय सौरभ जी, आपका हृदय से आभार, आपके कहने अनुसार
//मैं इस कविता पर फिर से आता हूँ.
तबतक क्या आप टंकण त्रुटियों को ठीक कर लेंगे ?..//.
, मैंने कविता की त्रुटियों को सुधार लिया है, आप अपना मार्गदर्शन बनाये रखियेगा
सादर!
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