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पतझड़ का मौसम लगते ही बाग-बगीचों में जहां देखों वही पत्तों से जमीन ढक जाती हैं।
गर्मियों की छुट्टियों में बिनी और पम्मी के घर उनकी बुआजी के बच्चे टिपलू और टीना आए हुये थे।दिनभर खेलकूद खाने-पीने की मस्ती चलती और सुबह-शाम को बगीचे मे दादी के साथ पौधो को पानी डालते।
एकदिन शाम को रोजमर्रा की तरह पानी डालते बच्चों को दादाजी ने अपने पास बुलाया और क्यारियों में जमी खरपतबार को उखाड़कर एकतरफ ढेर लगाने को कहा और साथ में उग आए नीम, जामुन, पीपल, तुलसी बगेरह के पौधों को जड़ों सहित मिट्टी में बांधकर एकतरफ रखते देख बिनी ने उत्सुकता से पूछा।
'दादा जी, आप इन पौधों को क्यों नहीं फेक रहे ?'
एक-एक पौध की पहचान कराते हुये दादाजी ने समझाते हुये उत्तर दिया, 'बेटा ये बहुत गुणकारी पेड़ हैं। ये ना केवल वातावरण को शुद्ध करते हैं बल्कि पर्यावरण का संतुलन बनाने में मदद भी करते हैं। '
'हां नाना जी, साइंस की मेडम ने समझाया था कि कैसे पौधे वर्षा रानी को बुलाते हैं और अपनी जड़ों से उस पानी को सोखकर जमीन में पानी की कमी पूरी करने में सहायता करते हैं।'
'सही कहा तुमने टीना!हम जो ऑक्सीजन लेते हैं वो पौधों द्वारा ही छोड़ी जाती हैं।'
'बिल्कुल सही कहा तुम दोनों ने… हमें पेड़ों को काटने वालों से बचाना चाहिए...अधिक से अधिक पेड़ लगाना चाहिए,समझी,'दादाजी ने हंसते हुये कहा।
'मालुम हैं नानी जी, स्कूल में वृक्षारोपण करवाते हुये सिखाया था कि हम घर पर आम,जामुन बगेरह की गुठली से कैसे सीड बम तैयार करते हैं और कही सफर करते हुये खाली जमीन में फेंक दो तो हरियाली बनाए रखने में इस तरह सहयोग दे सकते हैं साथ ही ऑक्सीजन की भी कमी ना होगी।'
बिनी ने जैसे कुछ याद करते हुये कहा, 'हां ...टीव्ही में देखा था.. हरियाली की कमी होने से ही कितनी ऑक्सीजन सिलेण्डर की कमी हो गई थी… कितने लोगों की जान ऑक्सीजन सिलेण्डर ना मिलने पर चली गई थी। '
तीनों को बातें करते देख दूर बैठे आमों को चूसकर मजा लेते टिपलू और पम्मी भी आकर जिज्ञासा से बातें सुनने लगे।
'पर दादाजी ।ये सब पेड़ अपने बगीचे में लगे हुये हैं तब इनका क्या….?' पेड़ों की तरफ इशारा करते हुये बिनी ने कहा।
दादजी कुछ कहते कि इससे पहले टीना ने टिपलू की तरफ शरारत से चुटकी लेते हुये कहा, 'अरे, परसो ही तो टिपलू का जन्मदिन आ रहा हैं और मेडम ने बताया था कि दोस्तों को पौधें उपहारस्वरूप भेंट करना सबसे यादगार दोस्ती याद रखने वाला होता हैं...क्यो,टिपलू भाई!'
इतने में टिपलू और पम्मी के खाए आम की गुठलियों को हाथ में बटोरकर लाई बिनी ने सभी को बांटकर टीना से कहा, 'चलिए टीनाजी हमें भी सिखाईये सीडबम बनाना...।'
'हां...हां.. नेक काम में देरी कैसी!...टीना से हम भी सीखेगे…!'
बिनी ने दादाजी द्वारा बनाये छोटे-छोटे पौध की तरफ इशारा करके भोलेपन से पूछा, 'तो क्या दादा जी, अपने बगीचे में किसी ने सीडबम फेंके थे .. तभी ये जगह-जगह उग आए।'
'धत् पगली!इतना भी नही पढ़ा विज्ञान में… पक्षियों की बीट से ही तो उग आते हैं….पक्षी ही सीडबम हैं।' टीना ने शरारती अंदाज में हंसते हुये कहा।
टीना के किए मज़ाक से चिड़ते हुये बिनी ने कहा, 'ठीक हैं...ठीक हैं....तुम्हें सीड बम बनाना भी याद हैं या भूल गई...... ।'
दोनों के बीच बढ़ती बहस को विराम देते हुये कहा, 'बहसबाजी बंद करो.....ये रही मिट्टी और आम की गुठलियाँ .....और क्या मिलते हैं इसमें टीना बेटा।'
'और मेडम ने बताया था गोबर की खाद और पानी मिलाकर रोटी का आटा जैसा गूंथेंगे और फिर लड्डू जैसे गोल-गोल सीड बम बनाएँगे।'
दादाजी ने खुश होकर कहा, 'बहुत बढ़िया!पेड़ों के लिए मंगाई खाद भी हैं और मिट्टी भी। चलों,जुट जाओ सभी मिलकर हरियाली बनाए रखने के लिए गोल-गोल सीड बम बनाने।'
उत्साहित होकर सभी सीड बम बनाने लगे।पम्मी ने टीना को धन्यवाद देते हुये कहा, 'विज्ञान के प्रोजेक्ट वर्क में मैं सीड बम ले जाऊँगी ... मेरा सबसे अच्छा वर्क होगा।'
टिपलू ने हाथ में पकड़ी गुलेल को हवा में चलाते हुये कहा, और मैं अपने घर वापस बस से जाऊंगा तो बहुत सारे सीड बम अपने थैले में भर लूँगा और जहां जमीन खाली दिखेगी वही गुलेल से फेंक दूंगा।'
सभी उसी बात का समर्थन करते हुये हंसने लगे और दादाजी ने प्यार से सिर पर हाथ भेरते हुये कहा, 'और तुम सब जैसे बच्चों के रहते धरती हमेशा खुश रहेगी।

स्वरचित व अप्रकाशित 

बबीता गुप्ता 

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