For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कन्या सिर्फ रत्न नहीं

कन्या सिर्फ रत्न नहीं,

सराहे और पूजे जाने के लिए एक सोच है ,

दर्शन है एक ह्रदय है ,

समर्पण है ऐसी कोरी किताब नहीं,

कि गाहे -बगाहे. लिख दे कहानी कोई,

एक अंतर्मन है.जिसमे करते स्वयं प्रभु रमण हैं

उसके सीने में भी ,

दिल है धड़कता उसके जज्बातों में भी है कोई बसता,

एक मुकम्मल सा फ़रिश्ता,

जुड़ा-जुड़ा सा हो जिससे कोई रिश्ता

जिसकी नजदीकी सारे बंधन खोले

जैसे नए पंख उड़ने को पर तौले,

कोई कर्णप्रिय बात मद्यम सुर में बोले

मन में छुपे अहसास कोई हौले से छूले

जो न कवि की कल्पना, न शायर की गजल हो,

स्वयं में खिलता स्वर्णकमल हो

खुद में व्यक्त-अभिव्यक्त, संपूर्ण सकल हो,

धागों, अनुबंधों की सीमाओं से परे,

उस निराकार में जिसका विलय हो

अल्हड उन्मादिता का न हो दमन नए सुर,

भावों में हो जिसका सृजन

सागर की गहरे में मोती सा जिसका मन

अपना चेहरा दिखाई दे ,ऐसा है वो दर्पण

Views: 451

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Anita Maurya on December 25, 2010 at 12:53pm
बहुत खुबसूरत... शब्दों का बहुत अच्छा संयोजन.. बधाई...
Comment by anupama shrivastava[anu shri] on December 20, 2010 at 12:21pm

bahut dhanyavad preetam ji............thoda prayas hai man ke bhavon ko kagaj par utarne ka............apki prashansha aur utsahvardhan ke liye dil se shukriya.

Comment by PREETAM TIWARY(PREET) on December 19, 2010 at 3:37pm

aapke pehle blog ka dil se swagat hai anu shree jee......

kavita ke maadhyam se saari baatein keh daali aapne....bahut hi badhiya rachna hai.....

aage aur bhi rachnaon ka intezaar rahega.......aur is rachna ke liye bahut bahut badhai....aur aage aane wali rachnaon ke liye shubhkamnayen

Comment by anupama shrivastava[anu shri] on December 19, 2010 at 1:47pm
हार्दिक धन्यवाद गणेश जी, आपके इन सुंदर शब्दों और सराहना के लिए ............anushri.

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 19, 2010 at 12:10pm

आदरणीया अनु श्री जी, सर्वप्रथम ओपन बुक्स ऑनलाइन के मंच पर आपके पहले ब्लॉग का दिल से स्वागत है, साथ ही बेहतरीन काव्य कृति पर मुबारकवाद भी |

 

खुद में व्यक्त-अभिव्यक्त, संपूर्ण सकल हो,

धागों, अनुबंधों की सीमाओं से परे,

उस निराकार में जिसका विलय हो

अल्हड उन्मादिता का न हो दमन नए सुर,

 

खुबसूरत शब्दों का प्रयोग रचना को बेहतरीन बना रही है, बहुत बहुत बधाई ...इस खुबसूरत काव्यकृति पर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"तन्हाइयों में रंग-ए-हिना याद आ गया आना था याद क्या मुझे क्या याद आ गया लाजवाब शेर हुआ। गुज़रा हूँ…"
1 hour ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शानदार शेर हुए। बस दो शेर पर कुछ कहने लायक दिखने से अपने विचार रख रहा हूँ। जो दे गया है मुझको दग़ा…"
1 hour ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मिसरा दिया जा चुका है। इस कारण तरही मिसरा बाद में बदला गया था। स्वाभाविक है कि यह बात बहुत से…"
1 hour ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"खुशबू सी उसकी लाई हवा याद आ गया, बन के वो शख़्स बाद-ए-सबा याद आ गया। अच्छा शेर हुआ। वो शोख़ सी…"
1 hour ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"हमको नगर में गाँव खुला याद आ गया मानो स्वयं का भूला पता याद आ गया।१। अच्छा शेर हुआ। तम से घिरे थे…"
2 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"किस को बताऊँ दोस्त  मैं क्या याद आ गया ये   ज़िन्दगी  फ़ज़ूल …"
2 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"जी ज़रूर धन्यवाद! क़स्बा ए शाम ए धुँध को  "क़स्बा ए सुब्ह ए धुँध" कर लूँ तो कैसा हो…"
2 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"सुनते हैं उसको मेरा पता याद आ गया क्या फिर से कोई काम नया याद आ गया। अच्छा मतला हुआ। ‘सुनते…"
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
" आ. महेन्द्र कुमार जी, 1." हमदर्द सारे झूठे यहाँ धोखे बाज हैं"  आप सही कह रहे…"
4 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय,  दयावान जी मेधानी, कृपया ध्यान दें कि 1. " ये ज़िन्दगी फ़ज़ूल,  वाक्यांश है,…"
4 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"कोई बात नहीं आदरणीय विकास जी। अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें। वह ज़्यादा ज़रूरी है। "
4 hours ago
Vikas replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"हार्दिक आभार आपका महेंद्र कुमार जी। हाल ही में आंख का ऑपरेशन हुआ है। अभी स्क्रीन पर ज़ियादा समय नहीं…"
4 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service