For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

'पापा'

आपका जाना

दे गया

इक रिक्तता

जीवन में,

असहनीय पीड़ा

मेरे मन में..

 

'माँ'

आज भी

बातें करती है

लोगों से,

लेकिन उसकी

बातों में

होता है

इक 'खालीपन'

आज भी

उसकी निगाहें

देखती हैं

चहुँ ओर

'पर'

उसकी आँखों में हैं

इक 'सूनापन'...  

 

माँ के, दीदी के

छोटू के, भैया के ..

सबके मन में

आपकी याद बसी है

'वो' दरख़्त

की जिसके नीचे 

बरसों शाम

गुजारी थी आपने

उस दरख़्त के

हर पत्ते, हर बूटे में

आपकी याद बसी है,

 

वो सुबह सवेरे

'आपका'

बरामदे में बैठना

'और'

घंटो अखबार के

पन्ने पलटना,

दरवाज़े की

उस चौखट पर,

अखबार के

हर पन्ने पर

आपकी याद बसी है..

 

उस बिस्तर में

उस बर्तन में,

माँ की हर बात में

उसके हर जज्बात में,

आँगन के

हर कण कण में,

आपकी याद बसी है...

 

जीवन तो

चलता रहेगा

'लोगों का'

पूर्ववत, यथावत

पर 'माँ' के

जीवन का एकाकीपन

बन जायेगा

'अंतहीन सफ़र'

Views: 400

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Meena Pathak on January 13, 2014 at 1:11pm

जीवन तो

चलता रहेगा

'लोगों का'

पूर्ववत, यथावत

पर 'माँ' के

जीवन का एकाकीपन

बन जायेगा

'अंतहीन सफ़र'.............. एक बार फिर आँखे भीग गयीं अनीता 

Comment by vijay nikore on January 13, 2014 at 10:44am

आदरणीया अनीता जी,

 

आज ओ बी ओ पर पुरानी रचनाओं को देखते मेरी नज़र आपकी मर्मस्पर्शी रचना पर अटक गई।

इस अति मार्मिक अभिव्यक्ति के लिए साधुवाद, और  ’उस’  दुख से जूझने के लिए हृदयतल से संवेंदनाएँ।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by Anita Maurya on February 9, 2011 at 11:26am
Vandana ji, Arun ji, Ganesh ji..पापा के जाने के बाद जो खालीपन मिला है न, उसे बताने के लिए ये शब्द काफी नहीं है, उस दर्द को व्यक्त ही नहीं किया जा सकता....

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 8, 2011 at 2:28pm
अनीता जी , आप उस दर्द के दौर से गुजर कर यह कविता लिखी है , शायद इसी लिये एक एक शब्द दर्द का समंदर छुपाये है | हम सभी आपके इस दुःख मे दुखी है |
Comment by Abhinav Arun on February 7, 2011 at 3:28pm
अनीता जी एक मर्मस्पर्शी रचना | इसे लिखने के लिए रचनाकार कितनी पीड़ा से गुज़रा होगा इसका अनुमान सहज लगाया जा सकता है | जीवन में एक रिक्तता की परिपूर्ण अभिव्यक्ति |  उत्कृष्ट रचना |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
8 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
17 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
19 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
19 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
20 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
20 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
20 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
20 hours ago
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
20 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, प्रेत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय Dayaram Methani जी, लघुकथा का बहुत बढ़िया प्रयास हुआ है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"क्या बात है! ये लघुकथा तो सीधी सादी लगती है, लेकिन अंदर का 'चटाक' इतना जोरदार है कि कान…"
23 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service