For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जब से कॉलोनी मुहल्ले हो गये
लोग सब लगभग इकल्ले हो गये
 
दोस्ती हम ने इबादत मान ली 
बस कई इल्ज़ाम पल्ले हो गये
 
भोक्ता,कर्त्ता सुना भगवान है 
लोग महफ़िल के निठल्ले हो गये
 
ज़िक्र की पोशीदगी बढ़ने लगी 
बात में बातों के छल्ले  हो गये
 
बेअदब हो चाँद फिर मंज़ूर है
अब तो सब तारे पुछल्ले हो गये   

Views: 491

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by ASHVANI KUMAR SHARMA on May 13, 2011 at 10:58am
vandana ji atyant abhaar
Comment by ASHVANI KUMAR SHARMA on May 13, 2011 at 10:57am
dheeraj ji thanx
Comment by ASHVANI KUMAR SHARMA on May 13, 2011 at 10:56am
sanjay ji shukriya
Comment by ASHVANI KUMAR SHARMA on May 13, 2011 at 10:56am
baagi ji aap hamesha hausala badhate hai aap ka atyant abhaar
Comment by ASHVANI KUMAR SHARMA on May 13, 2011 at 10:54am
arun ji abhaari hun aap ki zarranawazi ka
Comment by Sanjay Rajendraprasad Yadav on May 10, 2011 at 2:00pm
बहुत ही अच्छी रचना शर्मा जी
Comment by Dheeraj on May 10, 2011 at 12:49pm
वाह वाह क्या अनुपम ढंग से बेहतरीन शब्दों का उपयोग किया है आज की आधुनिकता को दर्शाने में ....... सुन्दर रचना शर्मा जी

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 10, 2011 at 11:41am

अश्वनी जी, अपेक्षाकृत कठिन काफिया को लेकर जिस खूबसूरती से आपने इस ग़ज़ल को प्रस्तुत किया है वह काबिले गौर और काबिले तारीफ़ है, 

दाद स्वीकार कीजिये इस खुबसूरत ग़ज़ल पर |

Comment by Abhinav Arun on May 9, 2011 at 11:17am

बहुत खूब आधुनीक जीवन की विडंबनाओं की खूब साफगोई से अभिव्यक्ति -

जब से कॉलोनी मुहल्ले हो गये
लोग सब लगभग इकल्ले हो गये
शेर में इकल्ले का जवाब नहीं बधाई |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
9 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
18 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
20 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
20 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
21 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
21 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
21 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
21 hours ago
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
21 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, प्रेत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय Dayaram Methani जी, लघुकथा का बहुत बढ़िया प्रयास हुआ है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"क्या बात है! ये लघुकथा तो सीधी सादी लगती है, लेकिन अंदर का 'चटाक' इतना जोरदार है कि कान…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service