रामजस के आज एगो मन के मुराद पूरा हो गइल रहे | सुबेरे -सुबेरे ही सहर के सदर अस्पताल मे बड़ा बाझल बुझात रहलन | हाँथ के मिठाई के ठोंगा लेले एह कोना ले - ओह कोना कईले रहलन आ ख़ुशी के मारे उनकर चेहरा बरत रहे ,आखिर होखे भी काहें ना कतना मनवती आ इंतजार के बाद उनकर मेहरारू लइका के जनम देले रहे | बरामदा मे जब आपन कालेज के जमाना के संघतिया कलीका पर नजर गइल त उनकर ख़ुशी चोउगना हो गइल ," अरे कलीका भाई ल हई मिठाई खा " , " मिठाई का बात ब़ा हो बड़ा खुश लागत बाड़ " , | " अब ल खुश काहें ना रहि लइका न भईल ब़ा हो "रामजस छाती के दू इंच बढ़ा के बोललन ," अच्छा त इ बात ब़ा तबे त कनि ह कि हरदंम चोंगा नियन मुह रखे वाला आदमी अतना खुश काहें ब़ा ,"| ...... "अच्छा हमार ख़ुशी के छोड़ बताव तू एने कहाँ ले " , "अब का बताई जवन गति तोरी तवन गति मोरी रामा हो रामा " , " यानि तोहरो लइका भइल ब़ा का " ना हमार लइकी भइल बिया " ...." लइकी आ तोरी कि लइकी के फेरा मे काहें परे गइल ह ए मरदे " रामजस के माथा पर तनिका बल आइल " मोए दुनिया बेटा जोहेला तू बेटी के फेरा मे पड़ी गइल " अब इ सब त ऊपर वाला देन ब़ा ए रामजस भाई बेटा होखे चाहे बेटी " ......" अरे ऊपर वाला के का देन ब़ा लइकी जनमा के का भुगते के ब़ा , हमरा ले कहले रहित हम तोहके बतइती लइकी से बचेके उपाय ",... ' उकाहो ' कलीका तनी भकुवैलन .." देख कलिका भाई समाज मे विज्ञानं के विकास तेजी से भइल ब़ा ,तरह -तरह के मशीन आ गइल बड़ी सन आ एह घरी त डाक्टरन के पासे अइसन मशीन बडिसन जवन इ बता दिह्सन कि ,पेट मे पल रह्ग्ल बच्चा लइका ह ki लइकी" |.. " उ त हमरो मालूम ब़ा " बाकि गर्भजाँच करावल भा गर्भपात करावल त कानूनन जुर्म ह ,आ इ एक तरह के पाप भी ब़ा "| '"...अरे काहें के पाप - पुन इ सब कहे के ह ,आ रह्ग्ल बात कानून के त एह घरी चोरी छुपे बहुत डागदर मिलिहन जवन इ काम क़र रहल बाडन त फिर के पड़े जाई लइकी के बवाल मे , लइकी होते पड़ी जा उनका बियाह करके चिंता मे ,दहेज़ के पैसा जुटावे के फेर मे लाग ,दुवारी -दुवारी घूम एह कुल से बढ़िया ब़ा लइकी मत जन्माव ,"| .. " इ आपन आपन सोच ब़ा ए रामजश भाई ,लेकिन हमनी के इना भुलाये के चाही कि लइकी घर के लक्ष्मी होली सन ,रहल बात दहेज़ के आ लइकी के बियाह के त उ केहू ना केहुताडे होख्ही के ब़ा,अब हमार देखना हमरा एगो लइका ब़ा बाकि लइकी जन्मला से हम कवनो दुखी नईखी बल्कि अपना के भाग्यवान समझत बानी कि हमरा घरे लइकी जनमल"|
." लइकी लक्ष्मी होली सन त लइको कुल के दीपक होल्सन लइकन बिना खानदान ना चली,एकरा पहिले भी तोहार भउजी के पाव भारी रहे ,बाकिर जाँच मे पता चलल कि लइकी बिया आ हम लइकी चाहत ना रहनी एह से सफाई करवा दिहनी ,अब एगो लइका हो गइल एकाद हाली अउरी देखाई लइका होई त ठीक ना त हमरा लक्ष्मी के फेर मे नइखे परे के ,लइका रहि त कतने लक्ष्मी अईहन ,"|
" खैर इ आपन आपन सोच विचार ब़ा केकरा का पसंद ब़ा ,कवना मे हानी- लाभ ब़ा ,अब हम चल्तानी उनका लेके गाँवे जाये के ब़ा , तूत सहर मे मकान बना के राज भोगते बाड़ ,फेर कबो भेंट होई प्रणाम " |
रामजस आ कलिका कालेज के जमाना के ही संघतिया रहे लोग | पढ़ाइये समय बाबूजी के गुजरी गइला के कारन कलिका गाँवे आके घर गृहस्ती के देखे लगलन आ रामजस आपन पढाई पूरा कके सहरे मे नोकरी करे लगलन, आ ज्यादा तर सहरी माहोल मेही अपना के ढाल लेले रहलन उनकर जिंदगी के आपन कुछ उसूल रहे ,कुछ तरीका रहे ,उनका झंझट पसंद ना रहे ,आ एमा उ लइकी ज्न्मावल भी झंझट ही समझस एहि से लइका के चाह मे उ कई हाली आपना मेहरारू गर्भजाँच कराके गर्भ पात करा देहलम उनका चाह रहे कि उनका लइका होखे आ आज उनका लइका हो गइल रहे खुश रहलन |
समय बीते लागल रामजस के लइका धीरे -धीरे बड होखे लागल ,ओकारा बाद उनका संतान प्राप्ति ना भइल कारन रहे लइकी , एकाद हाली अइसन संजोग आइबो कइल त लइकी के कारन बच्चा जन्मे ना देहलन ,अब उनकर आस उहे एगो लइका रहे ,आपन मोए सरधा ओकरे पर पूरा करस हर जनम दिन पर घर मे पाटी कके मोए सहर के जाना देले रहलन कि उनको एगो लइका ब़ा ,मन मे बड़ा सरधा रहे लइका के बियाह मे ,कवनो तरह के कमी नइखे छोड़े के दहेज़ ज़म के लेबे के ब़ा , आखिर इहे एगो हमार लइका ब़ा ,जवन भी कमाई - धमाई ब़ा मोए एकरे ना ब़ा ,लइका निकहा पढत भी ब़ा बिजनेस मनेजमेंट के तैयारी करता |
कहल जाला समय बीतत आ बदलत देरी ना होला | चौबीस बरीस के लइका हो गइल रहे रामजस के बहुत बढ़िया कम्पनी मे बढ़िया पोस्ट पर नोकरी भी लाग गइल रहे | रामजस बस अब लइका के बियाह के बारे मे सोचस , अपना घर के आगन्तुक खाना मे बड़हन फ्रेम मे कोट टाई के साथ लइका के फोटो लगा देले रहलन जे आवे ओकर ले आपना लइका के बड़ाई करेमे कवनो कोर कसर ना छोड्स हरदम जबान पर उनकर लईके रहे | बाकि समय के साथ उनकर मन कुछ उदास होखे लागल लाख जतन के बाद भी उनका केहे अभी एकहू तिलकहरू ना चढ़लसन | बड़ा फेर परल भाई करस त का आखिर का कमी ब़ा ,काहें नइखन आवत तिलकहरू ,दिन पर दिन मुस्किल बड़ते जाय बाकिर ना तिल्कहरून के पानी पियेवाला मोए बर्फी शुख जाव बाकिर एको तिलकहरू ना आवस |
एकही लइका रहे कुल खानदान चलावे खातिर बियाह कइल जरुरी रहे | मन में उनका सूझल काहे ना हमही लइकी देखि ,कवनो बढ़िया घरे जाके आपना लइका के बारे में बताएम् त केहू बियाह से इंकार ना करी | बाकि जाई कहां कवनो अइसन आदमी ना लउके जेकरा केहे उनका लइका जोग लइकी मिल सक्सन | भाई लइका पडल लिखल बा त लइकीयो पढले लिखल नु चाही | कुछ लोग के पास गइलन जेकरा घरे लइकी पडल लिखल रहलिसन उ बियाह से साफ इंकार कदे ,उनका समझे में ना आवे आदमी लइकी न के बियाह काहें नइखन करत | कहाँ सोचले रहलन एगो लइका ब़ा खूब दहेज़ लें धूम धाम से शादी करम बाकि एजा त बियाह करेके आसरा टूटल जाता |रामजस अब अपना बराबरी के छोड़ आपना से निचे वाला आदमी केहे जाये लगलन इहाँ तक की सहर मे लइकी ना मिलल देखि गाँव मे भी घुमे लगलन ,बाहर से आपना लइका के भी बोला लेले रहलन | दुनो बापे - बेटा बलोरो me बैठ के दिन भर तेल जियान करस लोग बाकि कवनो लाभ ना मिलल | कहि पर दहेज देबे के बात भी च्लाव्श बाकिर ना ,जैसे लइकीन के शुखा परी गइल ब़ा , |. थाक -हेर गइल रहलन बेचारू लाचार,जइसे उनका ले बेबस आदमी एह दुनिया मे केहू नइखे आपन एगो पढल लिखल नोकरी परस्त बेटा के बियाह करेखातिर दर - दर के ठोकर खातरन बाकिर केहू उनकर दुःख दरद समझे वाला नइखे जैसे एह दुनिया मे लइकीन के आभाव हो गइल ब़ा | केहू से पता चलल खड्सर गाँव मे कलिका के एगो लइकी बिया ,कलिका के नाव सुनते रामजस के तनी आस जागल कलिका उनकर संघतिया हवन ,जरुर उनकर बात सुनिहन आ बियाह करिहन आपना लइकी के इहे सोच के अगिले दिने लइका के लेके रामजस खड्सर के तैयारी क देहलन |
जेठ के दुपहरिया मे घर के अंगा निब के पेड़ के निचे निखहरे खटिया पर कलिका ओठन्घल रहलन तिले घर घर मोटर के आवाज सुनाइल | आंख खोल के देखलन त सम्न्ही एगो करिया रंग के बलोरो खाड रहे , हई धधकल धुप मे भी कोट -पैन्ट पहिनले दुगो सभ्यजन आदमी उतरल देख उसोचलन , जरुर सरकारी आदमी ह्व्सन कवनो काम सिरे आइल बड्सन | चट से खटिया से उठलन बाकि सामने रामजस के देखि के भकुवा गइलन " अरे रामजस भाई तूत मरदे चिनाह्ते नइख हई तपत दुपहरिया मे एने केने ले ,ख़ैर छोड़ चल पानी ओनी पिय " पानी पियला के बाद बात बात मे पता चलल की लइकी देखे लोग चलल ब़ा ढेर दिन से घूमत बाडन बाकि लइकीये नईखी सन मिळत रामजस कहलन की " अब त तोहरे आस ब़ा सुननी ह तोहार एगो लइकी बिया " ... |...रामजस के बात सुनी के कलिका कुछ अनमनइलन " लइकी के त आभाव एह घरी होइए गइल ब़ा हो अब लोग खाली लइके पैदा करेपर पर ध्यान दिहन तका लइकी असमान से टपकिहासन ,अच्छा छोड़ इ बताव बबुआ खान्ना दाना बना लेलन " | कलिका के अचानक कइल अइसन सवाल से रामजस तनी भरम मे पड़ी गइलन ........." अब लइका हवन इनका खाना दाना बनावे ना बनावे से का फरक पड़े के ब़ा उ त औरत जाती के काम ह " ,| ..."देख रामजस भाई हम साफ आदमी हई आ बात साफ - साफ जनिना , तू त जानते बाड हमार इहे एगो लइकी बिया आ उहो पढ़ल - लिखल हिय आ गवही हाई स्कुल मे पढावे ले साथ मे उ सिविलसर्विस के तैयारी भी करत बिया ओकर सपना ब़ा की उ कलक्टर बनो आ हम ओकर के रोक नइखी सकत ,एगो लइका रहे जवन सशुरा नलायक हो गइल बियाह ना जल्दी होत रहे एहि से कमाए के कहि के बहरा गइल आ ओनी के हो के रही गइल अब हमार javn कुछ बिया लइकीये बिया ओकर चाहे हम ओकरा के आपना घर के लक्ष्मी कही या कुल के दीपक ,उत कहतीया की अबे बियाह ना करम अबे पढाई करम बाकि हम जोर देम त बियाह कली बाकिर एगो हमार सर्त रहि , लइका के एइजे रहे के परी घर जम्हाई बनिके आ एहू तड़े आज काल्ह अब आदमी लइकी के बिदाई नइखन करत कुल खानदान चलावे खातिर लइकी के रखल जरूरी ब़ा अब आदमी ओही लइका ले आपना लइकी के बियाह सादी करत बाडन जवन बढ़िया से घर बासन क सकस गरु माल देख सकस समय बदल गइल ब़ा एह घरी लइकन से ज्यादा लइकी पढत बडिसन आ ओहनी के मांग भी ब़ा काहेंकी लइकी खोजले नैखिसन मिल पावत " कतना बढ़िया बढ़िया घर के बढ़िया -बढिया लइका बाड़े रहि जात बाडन |.....कलिका के बात सुन के रामजस शांप शुन्घ गइल " ...........माने तोहार कहेके मतलब का "
देख रामजस भाई मतलब हंमार इ ब़ा की लइकी के हम तोहार लइका से बियाह क देम ,बाकिर ..." , "बक्रीर का ..." " बाकिर इ की तोहार लइका हमरे केहे रहि आ घर से लेके दुआर तक के जिमेवारी सम्भारी यानि की चूल्हा -चौकी ,दुआर- सारी सब ." कलिका के बात सुनिके रामजस के मिजाज जइसे लहकी गइल " कलिका तू होश मे त बाड़ न तोहरा सायद पता नइखे हमार लइका एम् .बि.ए ह ....." तोहार लइका एम् बि ए ह त लेजके कही नोकरी कराव बियाह करके सपना मत देख तोहरा नियन कतना एम् बि ए आइलन - गइलन ..". देख कलिका अगर तू अपना लइकी के बियाह खातिर दहेज लिहल चाहता ड़ त मुह खोल कतान चाही " रामजस अबतक अपना मन मे दब्वले आ बियाह करके अंतिम दाव खेललन , बाकि बात सुनते कलिका के मिजाज गरमा गइल " पइसा के धउस मत देखाव रामजस जतना तोहार देबे के औकात ब़ा ओकरा ले कही अधिका लइकीया के पढाई पर गँवा देले बानी ,लइकीया हमार तोहार लइकवा से कम न कमाले उनका के बईठा के खियावे भर ओकर औकात ब़ा जा हम ना करम बियाह तोहरा नियन गिरल आदमी केहे चल जा एजा ले "
"....लइकी के दुआर पर लइकावाला के बेइजत .........! .रामजस के बात लागि गइल उठी के तमतमाइल चल देहलन उ कबो सपनो मे न सोचले रहलन की कबो इहो दिन देखे के परी नहर पर धुल उडावत बलोरो चलल जात रहे ,लइका गाड़ी चलावत रहे ,बगल मे बैठल रामजस के उ लइका बोझ बुझात रहे जिनिगी के बोझ जवना तले उ दबा गइल रहलन ,याद आवे लगल उ दिन जब उ कलिका के लइकी भइला के सुन के हसले रहलन आ कहले रहलन की कुल के दीपक लइका होलासन लेकिन ओह्दीन इ भुला गइल रहलन दीपक खाली जरेला घर के अंजोर त ज्योति करेले आज उनकर खानदान के पतवार टूटल जात रहे , काश एगो लइकी जन्मवले रहितन ...........................!
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रामजस जैसे लोग अभी नहुत हैं सब की समझ में आएगा बिटिया का महत्व ...जब लड़के अपने परिवार में खो कर माँ बाप को भुला बैठते हैं बुढ़ापे में तो बिटिया ही अपना फ़र्ज़ निभाती है ....इस चुटीली कहानी का सन्देश बग गहरा है ...बधाई
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