For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चरित्रहीन (लघु कथा)

धीरज दूध की डेयरी पर खड़ा दोस्तों के साथ गप्प मार रहा था. किसी भी लड़की को बात ही बात में चरित्रहीन कर देना उसकी बुरी आदत थी.  अभी किसी बात पर बहस हो ही रही थी कि सामने से एक लड़की आती हुई दिखी. धीरज अपनी आदतानुसार शुरू हो गया, " पता है कल्लू वो जो सामने से लड़की आ रही है न. उससे मेरी दोस्ती करीब एक साल तक रही. हम दोनों ने साथ-२ खूब मस्ती की." "पर धीरज वो लड़की तो देखने में बहुत शरीफ लग रही है फिर तेरे जैसे इंसान से उसने दोस्ती कैसे कर ली?" कल्लू ने हैरान हो पूछा. धीरज खिसियाते हुए बोला, "अबे साले वो देखने में ही सीधी लगती है लेकिन है बिलकुल चरित्रहीन. जाने कितनों से उसका याराना है."  तभी बगल में खड़े एक नौजवान ने धीरज का कॉलर पकड़ लिया, "वो लड़की ऐसी नहीं है. मैं उसे बचपन से जानता हूँ." धीरज घबराते हुए अकड़ा, "अबे कौन है तू और उस लड़की को कैसे जानता है.'' धीरज बेहोश होने से पहले केवल इतना सुन पाया, "मैं उस लड़की का सगा भाई हूँ."

Views: 713

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SUMIT PRATAP SINGH on June 9, 2012 at 7:17pm

शुक्रिया महिमा श्री जी...

Comment by MAHIMA SHREE on June 8, 2012 at 11:08pm

सुमित जी नमस्कार .. बहुत बढ़िया ...  सच्चाई बयाँ किया है  इस कथा में बधाई आपको

Comment by LOON KARAN CHHAJER on December 20, 2011 at 8:08pm

किसी के बारें मे कुछ जाने बिना ही कोई फबती कस देना अपराध की श्रेणी मे आता है इस कहानी से पार्तिदिन कही जाने वाली फबती को बहुत सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया गया है. बधाई .

Comment by SUMIT PRATAP SINGH on December 9, 2011 at 1:36pm

mrs.kavita verma जी आभार...

Comment by Kavita Verma on December 1, 2011 at 7:05pm

yuva varg me ghar banati chhichhali mansikta ko bakhoobi ubhara hai aapne..

Comment by SUMIT PRATAP SINGH on December 1, 2011 at 10:43am

LOON KARAN CHHAJER आप मेरी लघु कथा पर प्रतिक्रिया दे रहें हैं या अपनी गाथा गा रहे हैं कृपया बताइयेगा.

Comment by SUMIT PRATAP SINGH on December 1, 2011 at 10:41am

सौरभ पाण्डेय जी, गणेश जी, राज जी व श्याम बिहारी जी आप सभी का प्रतिक्रियाओं के लिए आभार...

Comment by Shyam Bihari Shyamal on December 1, 2011 at 6:27am

रचना का संदेश स्‍वागतेय। बधाई... 

Comment by राज लाली बटाला on December 1, 2011 at 12:50am

बहुत खूब है जी! 

Comment by LOON KARAN CHHAJER on November 30, 2011 at 6:38pm
जब मैं खुश होता हूँ, मुझे दूसरों में खुशी दिखाई देती हैं. जब मैं उदास होता हूँ, तो मैंने लोगों की आँखों में उदासी को देखा . जब मैं थका हुआ होता हूँ, मैं उबाऊ और बदसूरती के रूप में दुनिया को देखता हूँ .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय सुशील सरना जी हार्दिक बधाई स्वीकार करें इस प्रस्तुति हेतु। सादर।"
21 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on दिनेश कुमार's blog post ग़ज़ल -- दिनेश कुमार ( अदब की बज़्म का रुतबा गिरा नहीं सकता )
"आदरणीय दिनेश जी बहुत बढ़िया प्रस्तुति। हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर।"
22 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय जयनित कुमार मेहता जी बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है। हार्दिक बधाई। सादर।"
37 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
38 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीया ऋचा यादव जी, बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है। हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादगी से जो बयाँ करता था…"
40 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीया रचना भाटिया जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर।"
43 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी गजल का बहुत बढ़िया प्रयास हुआ है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार…"
45 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय संजय जी बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
48 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय अमित जी, बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
51 minutes ago
जयनित कुमार मेहता replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीया रचना भाटिया जी, सादर नमस्कार। आपने उचित प्रश्न पूछा है, जिससे एक सार्थक चर्चा की सम्भावना…"
59 minutes ago
जयनित कुमार मेहता replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय अमित जी, सादर नमस्कार! खूबसूरत ग़ज़ल के साथ मुशायरे का आगाज़ करने के लिए आपको हार्दिक बधाई!"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आ. रिचा जी, अचछी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service