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दूर तुम हो पास अब तन्हाई है

दूर तुम हो पास अब तन्हाई है
ज़िंदगी किस मोड़ पर ले आई है

हुस्न वाले चैन छीने दर्द दें
अक्ल अब जा के ठिकाने आई है

काटनी होगी फसल तन्हाई की
पर्वतों सी हो गयी ये राई है

रात आधी चाँद पूरा नींद गुम
चोट दिल की भी उभर सी आई है

आजकल क्यूँ गुम से रहते हो बड़े
मुझसे पूछे रोज मेरी माई है

तुम न हो तो फ़िक्र करते सब मेरी
दोस्त पूछे, ध्यान रखता भाई है

दिल न लगता है किसी भी अब जगह
दिल लगाने की सज़ा यूँ पाई है

आड़ में उसकी छुपा था चाँद कल
मुँह चिढ़ाता आज ये हरजाई है

जानता हूँ किस गली है घर तेरा
फ़िक्र आने में मगर रुसवाई है

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Comment

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Comment by DEEP ZIRVI on October 12, 2010 at 4:08pm
आजकल क्यूँ गुम से रहते हो बड़े
मुझसे पूछे रोज मेरी माई है.
कागजों को पीड़ा दिल की ये कहे ;
जब की उस के पास उस की माई है
Comment by DEEP ZIRVI on October 12, 2010 at 4:07pm
कागजों को पीड़ा दिल की ये कहे ;
जब की उस के पास उस की माई है
Comment by DEEP ZIRVI on October 12, 2010 at 4:04pm
आड़ में उसकी छुपा था चाँद कल
मुँह चिढ़ाता आज ये हरजाई है.JEEEO JI

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 11, 2010 at 10:59pm
बहुत खूब विकास भाई, बहुत बढ़िया जा रहे हो आप, बधाई आपको ,
Comment by आशीष यादव on October 11, 2010 at 3:48pm
आजकल क्यूँ गुम से रहते हो बड़े
मुझसे पूछे रोज मेरी माई है
waah bhaiya

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