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जानलेवा प्यार है, इस प्यार से तौबा करो

सभी को मेरा प्रणाम ... एक नयी कोशिश की है आपके सामने पेश है ...

बहर है 2122 212 2 212 2 212
मंज़िले अपनी जगह, रास्ते अपनी जगह ... आप इस गाने की धुन पे इसे गुनगुना सकते हैं ...
_____________________________________________________________________

जानलेवा प्यार है, इस प्यार से तौबा करो
नासमझ ये दिल सही तुम तो इसे टोका करो

किस तरफ हो जा रहे, इस राह की मंज़िल है क्या
देर थोड़ी बैठ कर, तुम दूर तक सोचा करो

तुम बचाओ मुझसे दामन, पास मेरे आओ ना
जंगलों की आग को बस दूर से देखा करो

कर भला होगा भला ये बस किताबी बात है
हो ना तुमको जो तज़ुर्बा यार मत बोला करो

आजकल तो आम है बर्बाद होना इश्क़ में
रोना इसी बात का तुम 'फ़िक्र ' मत रोया करो

जहाँ सुधार की आवश्यकता हो कृपया ज़रूर बतायें......

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Comment

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Comment by Hilal Badayuni on October 26, 2010 at 3:07pm
ग़ज़ल बहुत अच्छी है फ़िक्र जी आपकी
इस ग़ज़ल की बहर है फायलातुन फायलातुन फायलातुन फायलुन

आपने मुझे इस ग़ज़ल की इस्लाह की इजाज़त दी इसलिए बता दू के दो मिसरों को बदल लीजिये वज़न से खारिज है

रोना इसी बात का तुम 'फ़िक्र ' मत रोया करो
इसे यु कर लें बेहतर रहेगा "रोना इक ही बात का तुम फ़िक्र मत रोया करो"
दूसरा "हो ना तुमको जो तज़ुर्बा यार मत बोला करो"
इसमें बता दू के सही लफ्ज़ तज रुबा है न की तजुर्बा तो इसे यूँ केर लें
तज रुबा तुमको न हो तो यार मत बोला करो
सही हो जायगा
और आपकी कोशिश के लिए एक बार फिर से मुबारक बाद
उम्मीद करता हूँ मेरी इस टिपण्णी से हमारे अन्दर ज्ञान की विरद्धी होगी
शुक्रिया
हिलाल अहमद हिलाल
Comment by PREETAM TIWARY(PREET) on October 25, 2010 at 12:14pm
जानलेवा प्यार है, इस प्यार से तौबा करो
नासमझ ये दिल सही तुम तो इसे टोका करो

बहुत ही बढ़िया रचना विकास साहब...ऐसेही लिखते रहे....अगली रचना का इंतज़ार रहेगा..
Comment by vikas rana janumanu 'fikr' on October 23, 2010 at 3:03pm
prataap bhayeee ...... bahut scoha , ........aapki baat pe

mai fir se sochta hun

thanx
Comment by vikas rana janumanu 'fikr' on October 23, 2010 at 9:36am
partaaap bhayee shukriyaa aapka... acha laga :)

aapne jo kaha hai usse inkaar nahi kiyaa ja sakta
maine isi se pahle ik hi ,, word use kiyaa tha , par usse rawaaN nahi ho pa raha tha misra ..

i ki sound flexible hai, ise aap short bhi le sakte hai long bhi .....
aap ise ga ke dekhe .. sahi adaa ho jayega ......

aap kah sakte hai, maine benifit of doubt liyaa hai
aapka bahut shukriyaa bhayee ... aap aise hi salah dete raheN

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on October 22, 2010 at 8:14pm
फिक्र भाई
ग़ज़ल बहुत खूबसूरत है और बहरो वज्न के मामले में खरी भी है केवल एक जगह को छोड़कर जिसे बागी भैया ने इंगित भी किया है| बस इतना ही कहूँगा की "इसी" का वज्न १२ होता है|
२१२२ २१२२ २१२२ २१२
फाइलातुन फाइलातुन फाइलातुन फाइलुन (बहरे रमल की मुजाहिफ सूरत)
Comment by vikas rana janumanu 'fikr' on October 22, 2010 at 12:47pm
shukriyaa julie ji
Comment by Julie on October 20, 2010 at 10:00pm
कर भला होगा भला ये बस किताबी बात है
हो ना तुमको जो तज़ुर्बा यार मत बोला करो

बहुत ही अच्छी ग़ज़ल पेश की आपनें... बधाई विकास जी...!!
Comment by vikas rana janumanu 'fikr' on October 20, 2010 at 12:14pm
baagi bhayee jao ho

shukriyaa comment karne ke liye
maine makte ki takhti ki hai, aap dekheN kaha samsyaa lag rahi hai ...!!
may be maine kahi chook ki ho scanning karne maiN

regards

आ2ज1 कल2 तो2 आ2म1 है 2bar2 baa2 d1 हो2ना2 ish2Q 1 में2

रो2 ना1 इ 2सी2 बा2त1 का2 तुम2 ' fik2r 1 ' मत2 रो2या2 क1रो2

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 20, 2010 at 8:41am
बेहतर ख्याल के साथ कही गई ग़ज़ल है, प्रस्तुति भी खुबसूरत है , मकते के मिसरा सानी मे कुछ वजन की समस्या लग रही है, कृपया एक बार देख लेंगे | बाकी मस्त है दाद कुबूल कीजिये, जय हो |
Comment by आशीष यादव on October 20, 2010 at 12:15am
ek sundar ghazal ki prastuti. badhai

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