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उ आँगन होला गंगा अस पावन ,
रहे जहा तुलसी के वास ,
तोहरे पे लागल बाटे आस ,
मत तुरिहा विश्वास ऐ माई,
मत तुरिहा विश्वास,
हमार घर बाटे एगो मंदिर ,
माई बाड़ी देवी के समान ,
बाबु जी से इ त बन गइल ,
हमार गाँव एगो धाम ,
इहा होला देव लोग के वास ,
मत तुरिहा विश्वास ऐ माई,
मत तुरिहा विश्वास,
ऐ माई तोहसे इहे चाही ,
हसत खेलत जीवन इ बिताई ,
माई के ममता बाबु जी के प्यार ,
संगे चाही भाई के दुलार ,
न होखी हमहू कबो उदास ,
मत तुरिहा विश्वास ऐ माई,
मत तुरिहा विश्वास,

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Replies to This Discussion

बहुतै बढ़िया लिखे हैं .
dhanyabad lata ji
बहुत बढ़िया गुरु जी, भोजपुरिया संस्कृति के झलक दिखत बा राउर रचना बा , बहुत निक लागल, बधाई रौआ के |
dhanyabad ganesh ji

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