For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मेरा मन

ढूंढे क्या ....

 

सुख आनंद

ये तो है छलावा

मन का भ्रम

 

प्रसन्नता

ये तो आनी जानी

है क्षणिक

 

संतुष्टि

ये है मोहताज़

अभिलाषाओं की

 

धैर्य स्थिरता

है ये स्वयं की सोच

मस्तिष्क उपज

 

शांति

पर किन मूल्यों पर

अंतःकरण या बाह्य:करण 

 

पूर्णता का अहसास

ये तो है एक खामोशी

महसूस करने की

 

फिर भी

ढूंढता क्या

मन मेरा

 

 

विजयाश्री

१४.०९.२०१३

(मौलिक और अप्रकाशित )

Views: 782

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 18, 2013 at 5:15pm

आदरणीया विजयाश्री जी 

अपने ही मन को टटोलती..  सत्यान्वेषण के पहले सवाल ..."तुम चाहते क्या हो" का ज़वाब जानते बूझते भी खोजती इस सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए बहुत बहुत बधाई.

मनोइच्छाओ और  बाह्यस्रोतीकरण इन दो शब्दों पर आपका ध्यान पुनः अपेक्षित है 

सादर 

Comment by vijayashree on September 18, 2013 at 4:42pm

शुक्रिया सलीम शेख़ जी 

....

उम्दा शेर के लिए दाद कबूलें 

Comment by saalim sheikh on September 18, 2013 at 3:32pm


''फिर भी
ढूंढता क्या
मन मेरा''
आदारणीया विजयाश्री जी बहुत ही सुंदर रचना के लिए बधाई
मन आख़िर चाहता क्या है ये सचमुच बहुत बड़ी पहेली है
मैने भी कभी मन की इस उलझन पर कुछ कहने की कोशिश की थी एक शेर पेश है
मंज़िल पे खड़ा हो के सफ़र ढूँढ रहा हूँ/
हूँ साए तले फिर भी शजर ढूँढ रहा हूँ/

Comment by vijayashree on September 18, 2013 at 2:49pm

हार्दिक आभार आ. विजय निकोर सर 

Comment by vijay nikore on September 18, 2013 at 12:59pm

आदारणीया विजयाश्री जी:

 

सुन्दर भावाभिव्यक्ति। बधाई।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by vijayashree on September 18, 2013 at 12:32pm

शुक्रिया जितेन्द्र जी 

Comment by vijayashree on September 18, 2013 at 12:31pm

शुक्रिया अन्नपूर्णा बाजपाई जी 

Comment by vijayashree on September 18, 2013 at 12:31pm

अरुण शर्मा जी 

रचना सुंदर लगी शुक्रिया ...

इच्छापूर्ति तो कभी होती नहीं है ..तभी तो वो इच्छा है 

Comment by vijayashree on September 18, 2013 at 12:26pm

आ. गिरिराज भंडारी जी ...आभार 

आपका '' अ-मन होने का प्रयास सार्थक है " विचार से मैं स्वयं भी सहमत हूँ पर इंसान के लिए अ-मन होना बहुत मुश्किल है 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 17, 2013 at 11:46pm

बहुत बढ़िया सवाल, मन आखिर चाहता क्या है, आदरणीय अरुण अनंत जी की बात से सहमत हूँ,  बहरहाल सुंदर रचना पर, आपको बहुत बहुत बधाई आदरणीया विजयाश्री जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
3 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील भाई , अच्छे दोहों की रचना की है आपने , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , दिल से बधाई स्वीकार करें "
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , खूब सूरत मतल्ले के साथ , अच्छी ग़ज़ल कही है , हार्दिक  बधाई स्वीकार…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल  के शेर पर आपकी विस्तृत प्रतिक्रिया देख मन को सुकून मिला , आपको मेरे कुछ…"
5 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपसे मिले अनुमोदन हेतु आभार"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service