For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

खेत खाय गधा, मार खाय जुलहा

ब्लॉग के शीर्षक से आपको लगता होगा कि यह कहानी कोई खाने - खिलाने से सम्बंधित है ..मगर नहीं ..यह कहानी ..न्याय से सम्बंधित है ..यह कहानी मुझे पटना विश्वविद्यालय के एक प्रोफ़ेसर ने सुनाया था ..
प्रोफ़ेसर साहब एक बार भ्रमण के लिए रूस गए थे ... वहां उन्होंने नयायालय में हो रहे प्रकिरिया को देखना चाहा... वे एक न्यायलय में गए . एक नौकर ने अपने मालिक के घर से ४०० रुब्बल कि चोरी कर ली .थी . मालिक ने उस पर केश दर्ज करबा दिया था ..
जज ने नौकर से पूछा.." तुमने चोरी क्यों की"
नौकर ने कहा " मैंने धुर्म्पान ( SMOKING) करने के लिए चोरी की
जज ने कहा " स्मोकिंग की आदत कैसे लगी "
नौकर ने कहा " मेरे मालिक की पडोसी के नौकर ने मुझे स्मोकिंग करना सिखाया ..अब मैं स्मोकिंग का अभ्यस्त हो गया हु ...अतः स्मोकिंग की लत को पूरा करने के लिए चोरी की ...
और जानते है ...सजा किसे हुई
जज ने पडोसी के नौकर को सजा दी ....
क्या आप इस न्याय व्यवस्था से सहमत है ...अपने विचार अवश्य लिखे

Views: 720

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Admin on June 7, 2010 at 2:41pm
बिकुल सही है, यदि पर्दे के पीछे छुपे अपराधियों को सजा मिलती रहे तो अपराध करने मे अपराधी १००० बार सोचेंगे, बहुत सही चर्चा हुई है,

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on June 6, 2010 at 3:01pm
Agar isi tarah hi har samasya ki jadh tak pahuncha jaa sakey to shayad Naxlism aur terrorism ko bhi khatam kiya ja sakta hai. Very inspiring story indeed Baban Bhai
Comment by baban pandey on June 6, 2010 at 1:43pm
baagi jee...saja to kanoon me varnit प्रब्धानो के तहत ही जज ने दिया होगा ...फिर मैं समझता हु ...परदे के पीछे के अपराधी को भी सजा मिलनी चाहिए .

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on June 6, 2010 at 1:16pm
बबन भाई सबसे पहले तो मैं शीर्षक पर आता हू क़ि खेत जब गदहा ख़ाता है तो जुलाहा क्यो पीटा जाता है, वो इस लिये पीटा जाता है की गदहा जुलाहे के नियंत्रण मे है तो उसका मालिक उसे अनियंत्रित होने दिया, दूसरा कहानी की जहा तक बात है यदि दिल की सुने तो ठीक है उस नौकर को सज़ा मिली, पर यदि न्यायिक ब्यावस्था की बात किया जाय तो सज़ा तो चोरी करने वाले को ही मिलना चाहिये और उस देश के नियमावली मे यदि धूम्रपान सिखाने के लिये कोई सज़ा का प्रावधान हो तो उस नौकर को धूम्रपान सिखाने के लिये सज़ा मिलनी चाहिये न क़ि चोरी के लिये,
Comment by baban pandey on June 6, 2010 at 1:05pm
सही कहा प्रीतम जी . मैं भी जज के फैसले से पूर्ण सहमत हु .
Comment by PREETAM TIWARY(PREET) on June 6, 2010 at 1:00pm
jahan tak mera manna hai ye faisla bilkul hi sahi hua....kyuki aksar dekha jata hai koi bhi kisi ko nashe ki aadat laga dete hain...pehle to khud nasha karwate hain aur jab acchi tarah se aadat lag jaati hai to uske baad chore dete hain....to aakhir wo aadmi kya karega..agar uske baad apni ability nahi hogi to wo chori hi karega naa ya aur bhi kuch karega apni nashe ki lat ko poora karne ke liye....
isliye saja ko aadat pakdane wale ko hi honi chahiye.....

meri najar me faisla to bilkul sahi hua....

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
8 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
23 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Oct 31
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service