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Tilak Raj Kapoor's Discussions (2,049)

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"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के…"

Tilak Raj Kapoor replied Aug 24 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182

96 Aug 24
Reply by Tilak Raj Kapoor

"मुश्किल में हूँ मैं मुझको बचाने के लिए आ है दोस्ती तो उसको निभाने के लिए आ 1 यही बात…"

Tilak Raj Kapoor replied Aug 24 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182

96 Aug 24
Reply by Tilak Raj Kapoor

"ग़ज़ल अभी समय मॉंगती है। बहुत से शेर अच्छे शेर होते-होते रह गये हैं। मेरा दृष्टिकोण…"

Tilak Raj Kapoor replied Aug 24 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182

96 Aug 24
Reply by Tilak Raj Kapoor

"यूँ तो ग़ज़ल देखने में अच्छी है फिर भी मेरा दृष्टिकोण प्रस्तुत है। मुझसे है अगर प्य…"

Tilak Raj Kapoor replied Aug 24 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182

96 Aug 24
Reply by Tilak Raj Kapoor

"तरही की ग़ज़लें अभ्यास के लिये होती हैं और यह अभ्यास बरसों चलता है तब एक मुकम्मल शाय…"

Tilak Raj Kapoor replied Aug 23 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182

96 Aug 24
Reply by Tilak Raj Kapoor

"एक बात होती है शायर से उम्मीद, दूसरी होती है उसकी व्यस्तता और तीसरी होती है प्रस्तुत…"

Tilak Raj Kapoor replied Aug 23 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182

96 Aug 24
Reply by Tilak Raj Kapoor

"ग़ज़ल अच्छी हुई। बाहर भी निकल दैर-ओ-हरम से कभी अपने भूखे को किसी रोटी खिलाने के लिए…"

Tilak Raj Kapoor replied Aug 23 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182

96 Aug 24
Reply by Tilak Raj Kapoor

"ग़ज़ल अच्छी निबाही है आपने। मेरे विचार:  भटके हैं सभी, राह दिखाने के लिए आ इन्सान क…"

Tilak Raj Kapoor replied Aug 23 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182

96 Aug 24
Reply by Tilak Raj Kapoor

"ग़ज़ल अच्छी है, लेकिन कुछ बारीकियों पर ध्यान देना ज़रूरी है। बस उनकी बात है। ये तर्…"

Tilak Raj Kapoor replied Aug 23 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182

96 Aug 24
Reply by Tilak Raj Kapoor

"ये ही खाना यूँ पहनना ऐसे चलना चाहिए औरतों पर इस तरह का सुर बदलना चाहिए इसे यूँ भी क…"

Tilak Raj Kapoor replied Jul 27 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181

39 Jul 27
Reply by Jaihind Raipuri

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लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२२१/२१२१/१२२१/२१२ ***** जिनकी ज़बाँ से सुनते  हैं गहना ज़मीर है हमको उन्हीं की आँखों में पढ़ना ज़मीर…See More
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"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार आदरणीय । बहुत…"
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"छोटी बह्र  में खूबसूरत ग़ज़ल हुई,  भाई 'मुसाफिर'  ! " दे गए अश्क सीलन…"
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Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"अच्छा दोहा  सप्तक रचा, आपने, सुशील सरना जी! लेकिन  पहले दोहे का पहला सम चरण संशोधन का…"
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। सुंदर, सार्थक और वर्मतमान राजनीनीतिक परिप्रेक्ष में समसामयिक रचना हुई…"
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२१२/२१२/२१२/२१२ ****** घाव की बानगी  जब  पुरानी पड़ी याद फिर दुश्मनी की दिलानी पड़ी।१। * झूठ उसका न…See More
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Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"शुक्रिया आदरणीय। आपने जो टंकित किया है वह है शॉर्ट स्टोरी का दो पृथक शब्दों में हिंदी नाम लघु…"
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