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Brij bhushan choubey's Discussions (325)

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प्रधान संपादक

"चाँद धरा पर आन खडा बस रूप निहार रहा चुप भाई मौसम आज बड़ा मनभावन रूप पिया नव देखि न जा…"

Brij bhushan choubey replied Nov 9, 2011 to "OBO लाइव महा उत्सव" अंक १३ ( Now Closed with 1048 Replies )

1048 Nov 11, 2011
Reply by Saurabh Pandey

प्रधान संपादक

"मौसम के तेवर कडे़, गर्मी हो या ठंड़ कुदरत से खिलवाड़ का, भुगत रहे हैं दंड़ । भुगत रह…"

Brij bhushan choubey replied Nov 9, 2011 to "OBO लाइव महा उत्सव" अंक १३ ( Now Closed with 1048 Replies )

1048 Nov 11, 2011
Reply by Saurabh Pandey

प्रधान संपादक

"मुरझाये किसी  पुष्प को फिर खिलते हुए ड़ाल से टूटे पत्ते को फिर जुड़ते हुए राख में से फ…"

Brij bhushan choubey replied Nov 9, 2011 to "OBO लाइव महा उत्सव" अंक १३ ( Now Closed with 1048 Replies )

1048 Nov 11, 2011
Reply by Saurabh Pandey

प्रधान संपादक

"मौसम गर्मी- शीत का,या होवे बरसात. जुड़े हुए हर एक से,हम सबके जज्बात खुबसूरत रचना"

Brij bhushan choubey replied Nov 9, 2011 to "OBO लाइव महा उत्सव" अंक १३ ( Now Closed with 1048 Replies )

1048 Nov 11, 2011
Reply by Saurabh Pandey

प्रधान संपादक

"तिनके हवा उड़ाय, वन वस्त्रहीन हैं सारे,मन के मृत नहीं पर, यह सूरज चाँद सितारे।क्या बा…"

Brij bhushan choubey replied Nov 9, 2011 to "OBO लाइव महा उत्सव" अंक १३ ( Now Closed with 1048 Replies )

1048 Nov 11, 2011
Reply by Saurabh Pandey

प्रधान संपादक

" बहुत ही खुबसूरत .छंद.... आज करो सजना सजना हित साज सिंगार का मौसम आया, फूल खिले रस ग…"

Brij bhushan choubey replied Nov 9, 2011 to "OBO लाइव महा उत्सव" अंक १३ ( Now Closed with 1048 Replies )

1048 Nov 11, 2011
Reply by Saurabh Pandey

"ओ पुरानी याद फिरसे लौट आ तू आज मैं फिरसे अकेला हो गया हूँ..........पता नहीं क्यों पर…"

Brij bhushan choubey replied Oct 7, 2011 to "OBO लाइव महा उत्सव" अंक १२ (Now Closed with 1070 Replies)

1070 Oct 10, 2011
Reply by Er. Ambarish Srivastava

"जैसा रंग मिले रंग जाएइसीलिए ये सब को भाएऐसे महके जैसे चन्दनऐ सखी साजन? न सखी बचपन !.…"

Brij bhushan choubey replied Oct 7, 2011 to "OBO लाइव महा उत्सव" अंक १२ (Now Closed with 1070 Replies)

1070 Oct 10, 2011
Reply by Er. Ambarish Srivastava

"बहुत ही सुन्दर रचना अम्बरीश जी आपका छंद पढ़कर मन खुश हो जाता  है |"

Brij bhushan choubey replied Oct 7, 2011 to "OBO लाइव महा उत्सव" अंक १२ (Now Closed with 1070 Replies)

1070 Oct 10, 2011
Reply by Er. Ambarish Srivastava

"गिल्ली -डंडे पर जिसे वारा था  वो बचपन कितना प्यारा था |    मांझे पर चढी पतंग के पेच…"

Brij bhushan choubey replied Oct 7, 2011 to "OBO लाइव महा उत्सव" अंक १२ (Now Closed with 1070 Replies)

1070 Oct 10, 2011
Reply by Er. Ambarish Srivastava

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