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नादिर ख़ान's Discussions (1,565)

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"शुक्रिया आदरणीय अखिलेश जी ..आभार."

नादिर ख़ान replied Oct 9, 2015 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-60

280 Oct 11, 2015
Reply by नादिर ख़ान

"'मैं' हूँ बस 'मैं'बने मेरे ही कामशेष नाकाम ये ये मै ही तो इंसान का बेडा गर्ग किये हु…"

नादिर ख़ान replied Oct 9, 2015 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-60

280 Oct 11, 2015
Reply by नादिर ख़ान

"हौसला अफ़ज़ाई का बहुत शुक्रिया जनाब शहज़ाद उस्मानी साहब। "

नादिर ख़ान replied Oct 9, 2015 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-60

280 Oct 11, 2015
Reply by नादिर ख़ान

"आदरणीय अखिलेश जी प्रदत्त विषय पर अलग अलग चित्र खींचे आपने  सुन्दर रचनाकर्म कर्म के ल…"

नादिर ख़ान replied Oct 9, 2015 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-60

280 Oct 11, 2015
Reply by नादिर ख़ान

"खोना-पाना सच्चाई है, क्षण-क्षण का तुम जानो मोल धैर्यवान बनकर रहना है , बोलो सबसे मधु…"

नादिर ख़ान replied Oct 9, 2015 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-60

280 Oct 11, 2015
Reply by नादिर ख़ान

" आदरणीय सौरभ सर अलग अलग चित्रों के माध्यम से सुन्दर प्रभावशाली दोहे कहे आपने....   इ…"

नादिर ख़ान replied Oct 9, 2015 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-60

280 Oct 11, 2015
Reply by नादिर ख़ान

"आस (क्षणिकाएँ)   (एक) जब जब घृणित हुयी राजनीती  आस्था धर्म से निकलकर राजनीती के अखाड़…"

नादिर ख़ान replied Oct 9, 2015 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-60

280 Oct 11, 2015
Reply by नादिर ख़ान

"हरेक मोड़ पे इक मोड़ आ रहा है नया ,ये ज़ीस्त फिर भी निभाती हुई वफ़ा ही लगे |पढ़ो क़ुरआन या…"

नादिर ख़ान replied Sep 26, 2015 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-63

645 Sep 26, 2015
Reply by D.K.Nagaich 'Roshan'

"हौसला अफजाई का शुक्रिया जनाब समर साहब ...कुछ अड्वाइस भी दिया करें ..."

नादिर ख़ान replied Sep 26, 2015 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-63

645 Sep 26, 2015
Reply by D.K.Nagaich 'Roshan'

"वाह वाह आदरणीया राजेश कुमारी जी बेहतरीन गजल. कही है बहुत -बहुत बधाई ...."

नादिर ख़ान replied Sep 26, 2015 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-63

645 Sep 26, 2015
Reply by D.K.Nagaich 'Roshan'

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"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, कुछ सुझाव प्रस्तुत हैं…"
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अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"जा रहे हो छोड़ कर जो मेरा क्या रह जाएगा  बिन तुम्हारे ये मेरा घर मक़बरा रह जाएगा …"
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
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