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khursheed khairadi's Discussions (267)

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"मानव जीवन एक पतंग और उसकी कृपा डोर है,बिन उसकी कृपा आदमी का कब यहां चलता जोर है,  आद…"

khursheed khairadi replied Feb 14, 2015 to "ओ बी ओ लाइव महाउत्सव" अंक-52

901 Feb 14, 2015
Reply by maharshi tripathi

"पति पत्नी जिससे बँधे, कहें डोर विश्वास सुख दुख के साथी बनें, बंधन बनता खास ||  दोस्…"

khursheed khairadi replied Feb 14, 2015 to "ओ बी ओ लाइव महाउत्सव" अंक-52

901 Feb 14, 2015
Reply by maharshi tripathi

"कभी खुला मत छोडि़ए, मोती ढोर पतंगअच्छे लगते  हंै सदा, बँधे  डोर के संग ।1। आदरणीय लक…"

khursheed khairadi replied Feb 14, 2015 to "ओ बी ओ लाइव महाउत्सव" अंक-52

901 Feb 14, 2015
Reply by maharshi tripathi

"आदरणीया राजेश कुमारी जी ,ग़ज़ल आपको पसंद आई ,मेरा प्रयास रंग लाया |धरा के स्थान पर नगर…"

khursheed khairadi replied Feb 13, 2015 to "ओ बी ओ लाइव महाउत्सव" अंक-52

901 Feb 14, 2015
Reply by maharshi tripathi

"मैं हर बुलंदी की तेरी माँगूं दुआएं रब से     परवाज़ भर, छूले गगन डोरी जरा बढ़ा लूँ  आद…"

khursheed khairadi replied Feb 13, 2015 to "ओ बी ओ लाइव महाउत्सव" अंक-52

901 Feb 14, 2015
Reply by maharshi tripathi

"डोर कुएँ से पानी लाये ,सावन में झूला , डोर झुलाये,डोर ही पतंग उड़ाये , पेंच लड़ाये,क…"

khursheed khairadi replied Feb 13, 2015 to "ओ बी ओ लाइव महाउत्सव" अंक-52

901 Feb 14, 2015
Reply by maharshi tripathi

"चाहे दिखे या न दिखे जिसने दो छोरों को जीवंतता जोड़े रखा है    डोर वही है , सच्ची बिना…"

khursheed khairadi replied Feb 13, 2015 to "ओ बी ओ लाइव महाउत्सव" अंक-52

901 Feb 14, 2015
Reply by maharshi tripathi

"डोरी कटी पतंग की, आवारा हो जाय। इधर-उधर उड़ती फिरै, ठौर कहीं ना पाय़॥ वस्त्र बुने जिस…"

khursheed khairadi replied Feb 13, 2015 to "ओ बी ओ लाइव महाउत्सव" अंक-52

901 Feb 14, 2015
Reply by maharshi tripathi

"  गरीब को अमीर को समान रूप पालना सहज नहीं, सरल नहीं, विशाल जग सँभालना असंख्य पुण्य-प…"

khursheed khairadi replied Feb 13, 2015 to "ओ बी ओ लाइव महाउत्सव" अंक-52

901 Feb 14, 2015
Reply by maharshi tripathi

"बड़े नाज़ुक मरासिम है वफ़ा की डोर से बाँधों मेरी मानो न फूलों को अना की डोर से बाँधों  …"

khursheed khairadi replied Feb 13, 2015 to "ओ बी ओ लाइव महाउत्सव" अंक-52

901 Feb 14, 2015
Reply by maharshi tripathi

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"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
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"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
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Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, प्रेत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
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