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Sheikh Shahzad Usmani's Discussions (5,121)

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"अच्छा विषय लिया है आपने। हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह  साहिब।  संवादों में इन्…"

Sheikh Shahzad Usmani replied Jul 31, 2018 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-40 (विषय: दृष्टि)

443 Jul 31, 2018
Reply by Samar kabeer

"आदरणीय विनय कुमार जी, कहना चाहूंगा कि ... बहुत से मनोवैज्ञानिक शोधात्मक उपाय संभव है…"

Sheikh Shahzad Usmani replied Jul 31, 2018 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-40 (विषय: दृष्टि)

443 Jul 31, 2018
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"//क्षणे रुष्टा, क्षणे तुष्टा //..//अंतर्दृष्टि बचवा,अंतर्दृष्टि,'//... वाह.. माह-ए-अ…"

Sheikh Shahzad Usmani replied Jul 31, 2018 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-40 (विषय: दृष्टि)

443 Jul 31, 2018
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"बढ़िया शीर्षक के साथ कुछ हटकर,  घटना पर दृष्टि डालते हुए पात्रों के दृष्टिकोण उभारती…"

Sheikh Shahzad Usmani replied Jul 31, 2018 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-40 (विषय: दृष्टि)

443 Jul 31, 2018
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" सीनियर सिटीजन/बुज़ुर्ग-विमर्श पर बहुत बढ़िया शीर्षक और संदेश वाहक बोधात्मक सृजन। हार्…"

Sheikh Shahzad Usmani replied Jul 31, 2018 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-40 (विषय: दृष्टि)

443 Jul 31, 2018
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"आदाब। एक सच को बताने, उसे बाख़ूबी उभारने के लिये बेहतरीन परिकल्पना के साथ बेहतरीन पंच…"

Sheikh Shahzad Usmani replied Jul 31, 2018 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-40 (विषय: दृष्टि)

443 Jul 31, 2018
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"विषयांतर्गत रिश्ते निभाने पर केंद्रित बदलाव का नज़रिया पेश करती बढ़िया रचना के लिए हार…"

Sheikh Shahzad Usmani replied Jul 31, 2018 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-40 (विषय: दृष्टि)

443 Jul 31, 2018
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"बेहतरीन अंतिम पंक्तियों के साथ पिता-विमर्श पर केंद्रित बेहतरीन उम्दा कथानक पर उम्दा…"

Sheikh Shahzad Usmani replied Jul 31, 2018 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-40 (विषय: दृष्टि)

443 Jul 31, 2018
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" विषयांतर्गत बहुत ही उम्दा कथानक पर बढ़िया रचना। हार्दिक बधाई आदरणीय आशीष श्रीवास्तव…"

Sheikh Shahzad Usmani replied Jul 31, 2018 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-40 (विषय: दृष्टि)

443 Jul 31, 2018
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"विषयांतर्गत यातायात समस्या पर बहुत बढ़िया रचना। हार्दिक बधाई आदरणीय  अजय गुप्ता साहिब…"

Sheikh Shahzad Usmani replied Jul 31, 2018 to "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-40 (विषय: दृष्टि)

443 Jul 31, 2018
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दोहा पंचक. . . . शृंगारबात हुई कुछ इस तरह,  उनसे मेरी यार ।सिरहाने खामोशियाँ, टूटी सौ- सौ बार…See More
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Ravi Shukla commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी गजल की प्रस्तुति के लिए बहुत-बहुत बधाई गजल के मकता के संबंध में एक जिज्ञासा…"
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर आपने सर्वोत्तम रचना लिख कर मेरी आकांक्षा…"
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Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
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