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Tilak Raj Kapoor's Discussions (2,031)

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"विशेष रूप से OBO लाइव महा उत्सव" अंक १२ के लिये कुछ शेर इक अजब सी दौड़ में मैं खो गय…"

Tilak Raj Kapoor replied Oct 7, 2011 to "OBO लाइव महा उत्सव" अंक १२ (Now Closed with 1070 Replies)

1070 Oct 10, 2011
Reply by Er. Ambarish Srivastava

सदस्य टीम प्रबंधन

"दुनिया बोले कंकर पत्‍थर चोट बहुत पहुँचाते हैं, मैं कहता हूँ बॉंधों में ये काम बहुत क…"

Tilak Raj Kapoor replied Sep 27, 2011 to मुकरियाँ या कह-मुकरियाँ : इतिहास और विधान

95 Nov 1, 2015
Reply by Sheikh Shahzad Usmani

सदस्य टीम प्रबंधन

"लो भाई वीनस, आपकी बात पर दो कच्‍चे शेर: मंजि़ल पे कौन पहुँचा, पत्‍थर पे देख 'दूरी',…"

Tilak Raj Kapoor replied Sep 27, 2011 to मुकरियाँ या कह-मुकरियाँ : इतिहास और विधान

95 Nov 1, 2015
Reply by Sheikh Shahzad Usmani

सदस्य टीम प्रबंधन

"आज कुछ और व्‍याख्‍या हो गयी, हिन्‍दी छन्‍द पर यह कृपा वर्षा होती रहे, वरना ग़ज़ल और…"

Tilak Raj Kapoor replied Sep 24, 2011 to मुकरियाँ या कह-मुकरियाँ : इतिहास और विधान

95 Nov 1, 2015
Reply by Sheikh Shahzad Usmani

"अब वो समय तो बचा नहीं कि किसी श्रमजीवी को साहित्‍यकार मान ले कोई। कबीर, रैदास, सूरदा…"

Tilak Raj Kapoor replied Sep 11, 2011 to सदस्य सक्रिय क्यों नहीं होते

170 Sep 14, 2011
Reply by Ashwini Ramesh

"क्‍या ये कुछ ऐसा नहीं लग रहा कि कोई किसी पुस्त‍कालय का सदस्‍य बने और पुस्त‍कालय अपेक…"

Tilak Raj Kapoor replied Sep 11, 2011 to सदस्य सक्रिय क्यों नहीं होते

170 Sep 14, 2011
Reply by Ashwini Ramesh

"आपकी प्रतिक्रिया शब्‍दश: स्‍वीकार है हुजूर। एक रुचिकर बात कहूँ कि शासकीय सेवकों के आ…"

Tilak Raj Kapoor replied Jun 13, 2011 to दो गज़ ज़मीं भी ना मिली ............................

36 Jun 21, 2011
Reply by Er. Ambarish Srivastava

"प्रश्‍न केवल सहमति अथवा असहमति का नहीं है। जो विचार बागी जी और सौरभ जी ने प्रस्‍तुत…"

Tilak Raj Kapoor replied Jun 13, 2011 to दो गज़ ज़मीं भी ना मिली ............................

36 Jun 21, 2011
Reply by Er. Ambarish Srivastava

"विवादित पेंटिंग्‍स को लेकर व्‍यक्तिगत भावनायें हो सकती हैं, सामाजिक और राष्‍ट्रीय भी…"

Tilak Raj Kapoor replied Jun 12, 2011 to दो गज़ ज़मीं भी ना मिली ............................

36 Jun 21, 2011
Reply by Er. Ambarish Srivastava

"खुदा मकबूल साहब की रूह को जन्‍न्‍त अता करे। पहली बार उन्‍हें पेंटिंग बनाते देखा, नज़…"

Tilak Raj Kapoor replied Jun 11, 2011 to दो गज़ ज़मीं भी ना मिली ............................

36 Jun 21, 2011
Reply by Er. Ambarish Srivastava

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Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
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Dr.Prachi Singh commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत सुंदर ग़ज़ल ... सभी अशआर अच्छे हैं और रदीफ़ भी बेहद सुंदर  बधाई सृजन पर "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। सार्थक टिप्पणियों से भी बहुत कुछ जानने सीखने को…"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत का प्रयास अच्छा हुआ है। पर भाई रवि जी की बातों से सहमत हूँ।…"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

अच्छा लगता है गम को तन्हाई मेंमिलना आकर तू हमको तन्हाई में।१।*दीप तले क्यों बैठ गया साथी आकर क्या…See More
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। यह रदीफ कई महीनो से दिमाग…"
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PHOOL SINGH posted a blog post

यथार्थवाद और जीवन

यथार्थवाद और जीवनवास्तविक होना स्वाभाविक और प्रशंसनीय है, परंतु जरूरत से अधिक वास्तविकता अक्सर…See More
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Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"शुक्रिया आदरणीय। कसावट हमेशा आवश्यक नहीं। अनावश्यक अथवा दोहराए गए शब्द या भाव या वाक्य या वाक्यांश…"
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Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।"
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pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"परिवार के विघटन  उसके कारणों और परिणामों पर आपकी कलम अच्छी चली है आदरणीया रक्षित सिंह जी…"
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