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"प्यार में यूं त्रासदी होने लगीचोट भी अब औषधी होने लगी........बहुत गजब का मतला है. आद…"

Ashok Kumar Raktale replied Feb 26, 2014 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-44

992 Feb 27, 2014
Reply by Saurabh Pandey

"आदरणीय अजय कुमार पाण्डेय जी सादर, वाह ! बहुत खूब गजल कही है सभी अशआर एक ताजगी लिए है…"

Ashok Kumar Raktale replied Feb 26, 2014 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-44

992 Feb 27, 2014
Reply by Saurabh Pandey

"मन से जब अपना पराया मिट गया जिंदगी फिर से सुखी होने लगी.............वाह ! आदरणीय दिग…"

Ashok Kumar Raktale replied Feb 26, 2014 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-44

992 Feb 27, 2014
Reply by Saurabh Pandey

"आदरणीय अखंड गहमरी जी सादर, सुन्दर प्रयास है यह आपका गजल पर. सभी अशआर सुंदर हैं. आदरण…"

Ashok Kumar Raktale replied Feb 26, 2014 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-44

992 Feb 27, 2014
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"भाई अत्येंद्र कुमार जी सादर, सुन्दर गजल कही है सभी शेर उम्दा कहे हैं. भरपूर दाद कुबु…"

Ashok Kumar Raktale replied Feb 26, 2014 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-44

992 Feb 27, 2014
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"सोच का दीया जला जब हम चले,कुछ अँधेरे  में रौशनी  होने लगी ׀........बहुत खूब ! आदरणीय…"

Ashok Kumar Raktale replied Feb 26, 2014 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-44

992 Feb 27, 2014
Reply by Saurabh Pandey

"सर बसर  गिरता गया इंसान क्योंपरवरिश में क्या कमी होने लगी.............हर कोई जानना च…"

Ashok Kumar Raktale replied Feb 26, 2014 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-44

992 Feb 27, 2014
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"है चरागों के बगल में रौशनी, दूर सारी बेबसी होने लगी।...........बहुत सुन्दर ! आदरणीय…"

Ashok Kumar Raktale replied Feb 26, 2014 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-44

992 Feb 27, 2014
Reply by Saurabh Pandey

"पांव माँ के मैं दबाता हूँ यहाँ मंदिरों में हाज़िरी होने लगी/२ ..........वाह ! क्या बा…"

Ashok Kumar Raktale replied Feb 26, 2014 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-44

992 Feb 27, 2014
Reply by Saurabh Pandey

"उपवनों में देखकर ऋतुराज को, सुर्ख रँग की हर कली होने लगी।.......बहुत खूब ! आदरणीया क…"

Ashok Kumar Raktale replied Feb 26, 2014 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-44

992 Feb 27, 2014
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"परम् आदरणीय सौरभ पांडे जी सदर प्रणाम! आपका मार्गदर्शन मेरे लिए संजीवनी समान है। हार्दिक आभार।"
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२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
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सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

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गहरी दरारें (लघु कविता)********************जैसे किसी तालाब कासारा जल सूखकरतलहटी में फट गई हों गहरी…See More
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212/212/212/212 **** केश जब तब घटा के खुले रात भर ठोस पत्थर  हुए   बुलबुले  रात भर।। * देख…See More
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अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
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अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी, समय देने के बाद भी एक त्रुटि हो ही गई।  सच तो ये है कि मेरी नजर इस पर पड़ी…"
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अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
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