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Er. Ambarish Srivastava's Discussions (6,307)

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"//हर इक आबाद घर में एक वीराना भी होता था. मिलें खुशियाँ या गम आबाद मयखाना भी होता था…"

Er. Ambarish Srivastava replied Apr 24, 2011 to "OBO लाइव तरही मुशायरा" अंक-१० (Now Closed)

267 Apr 25, 2011
Reply by Er. Ambarish Srivastava

"भाई नेमी चंद पुनियाजी !  भाव पक्ष की दृष्टि से बेहतरीन रचना .....बधाई आपको ...... क…"

Er. Ambarish Srivastava replied Apr 24, 2011 to "OBO लाइव तरही मुशायरा" अंक-१० (Now Closed)

267 Apr 25, 2011
Reply by Er. Ambarish Srivastava

"गिरी जब वो इमारत तो ज़माने को नज़र आया  , हर इक आबाद घर में एक वीराना भी होता था | बेह…"

Er. Ambarish Srivastava replied Apr 24, 2011 to "OBO लाइव तरही मुशायरा" अंक-१० (Now Closed)

267 Apr 25, 2011
Reply by Er. Ambarish Srivastava

"//हमारे बीच पहले एक याराना भी होता था कभी चेहरा ये मेरा जाना पहचाना भी होता था// गज़…"

Er. Ambarish Srivastava replied Apr 24, 2011 to "OBO लाइव तरही मुशायरा" अंक-१० (Now Closed)

267 Apr 25, 2011
Reply by Er. Ambarish Srivastava

"शुक्रिया हीर जी! ये तो सिर्फ ख्वाब ही था ..........:))"

Er. Ambarish Srivastava replied Apr 24, 2011 to "OBO लाइव तरही मुशायरा" अंक-१० (Now Closed)

267 Apr 25, 2011
Reply by Er. Ambarish Srivastava

"//वहाँ पर एक मस्जिद थी ओ मैखाना भी होता था जहाँ हर शख्श जाना भी ओ अनजाना भी होता था/…"

Er. Ambarish Srivastava replied Apr 23, 2011 to "OBO लाइव तरही मुशायरा" अंक-१० (Now Closed)

267 Apr 25, 2011
Reply by Er. Ambarish Srivastava

"स्वागत है प्रीतम भाई ! इसे पसंद करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया ....:))"

Er. Ambarish Srivastava replied Apr 23, 2011 to "OBO लाइव तरही मुशायरा" अंक-१० (Now Closed)

267 Apr 25, 2011
Reply by Er. Ambarish Srivastava

"बहुत थे खूबसूरत वो निगाहों से पिलाते थे  पिया जो जाम आँखों नें वो पैमाना भी होता थ…"

Er. Ambarish Srivastava replied Apr 23, 2011 to "OBO लाइव तरही मुशायरा" अंक-१० (Now Closed)

267 Apr 25, 2011
Reply by Er. Ambarish Srivastava

"अवश्य मित्र ! :))"

Er. Ambarish Srivastava replied Apr 23, 2011 to "OBO लाइव तरही मुशायरा" अंक-१० (Now Closed)

267 Apr 25, 2011
Reply by Er. Ambarish Srivastava

"स्वागत है भाई वीरेंद्र जैन जी ! इन शेरों को पसंद करने व तारीफ करने के लिए आपका तहे…"

Er. Ambarish Srivastava replied Apr 23, 2011 to "OBO लाइव तरही मुशायरा" अंक-१० (Now Closed)

267 Apr 25, 2011
Reply by Er. Ambarish Srivastava

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