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dilbag virk's Discussions (601)

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"कमबख्त नौकरी ने यूँ मजबूर कर दियाबीबी से मुलाकात भी होती है ख्वाब में.---------वाह क…"

dilbag virk replied Jan 28, 2012 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - १९

627 Jan 30, 2012
Reply by अरुण कुमार निगम

"लाजवाब मतला खूबसूरत गजल"

dilbag virk replied Jan 28, 2012 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - १९

627 Jan 30, 2012
Reply by अरुण कुमार निगम

"रह गए तड़प के जो  नज़रे नहीं मिली, चिलमन में थे वो और थे हम भी नकाब में. लाजवाब"

dilbag virk replied Jan 28, 2012 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - १९

627 Jan 30, 2012
Reply by अरुण कुमार निगम

"लब भींच  के हंसते हैं,  बोलते नहीं. जब भी हुई है  बात,  हुई है ख़्वाब में. बडे जालिम…"

dilbag virk replied Jan 28, 2012 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - १९

627 Jan 30, 2012
Reply by अरुण कुमार निगम

"क्या कहने गजल के साथ - साथ यह अंदाज फी पसंद आया"

dilbag virk replied Jan 28, 2012 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - १९

627 Jan 30, 2012
Reply by अरुण कुमार निगम

"वो ले गया नींदे भी मेरी देखो लूट कर कैसे यकीं हो अब वो आएगा ख़्वाब में वाह .... बहुत…"

dilbag virk replied Jan 28, 2012 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - १९

627 Jan 30, 2012
Reply by अरुण कुमार निगम

"उनसे  जुदा  हुआ , जिंदगी ही बिखर गई ,बस   ढूंढता  रहा   उनको   मै  शराब  में || बहुत…"

dilbag virk replied Jan 28, 2012 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - १९

627 Jan 30, 2012
Reply by अरुण कुमार निगम

"बहुत सुंदर अपने लिये तू जाके कोई घर तलाश कर दो  पैर कैसे  आयंगे इक  ही जुर्राब में!…"

dilbag virk replied Jan 28, 2012 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - १९

627 Jan 30, 2012
Reply by अरुण कुमार निगम

"आभार वैसे आपका मतलब अच्छी गजल से था या बुरी----------------------"

dilbag virk replied Jan 28, 2012 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - १९

627 Jan 30, 2012
Reply by अरुण कुमार निगम

"आभार सौरभ जी"

dilbag virk replied Jan 28, 2012 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - १९

627 Jan 30, 2012
Reply by अरुण कुमार निगम

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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
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"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत का प्रयास अच्छा हुआ है। पर भाई रवि जी की बातों से सहमत हूँ।…"
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