भाइयों हमें एचआईवी/एड्स पे एक हिन्दी कविता की जरूरत है यदि संभव हो कृपया शेयर करें.................
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किस काम के लिए चाहिए और कहाँ प्रयोग करना है
मेरे पास एड्स पर कई कवितायें हैं
एक लिखित आवेदन के साथ आप कविता मेरी वैबसाइट से ले सकते हैं। शर्त है कि कविता के रचना कर का नाम नहीं हटाना होगा और उचित उद्धधरण करना होगा।
वैबसाइट : www.drsuryabali.com
आवेदन के लिए ईमेल करें : drsuryabali@gmail.com
सधन्यवाद
रोग तो अनेक प्रकार के हैं मानव में,
उनमे से एड्स की समस्या विकराल है।
सुलझी न गुत्थी इस रोग के इलाज़ की,
डॉक्टर और वैद्य सब इससे बेहाल हैं।।
एक्वायर्ड इम्मुनो डिफीसियंसी सिंड्रोम नाम,
आरएनए विषाणुजनित रोग की मिशाल है।
एचआईवी विषाणु पैदा करता है एड्स को,
रोक सके कौन इसे किसकी मजाल है।।
दूध, लार, मेरुद्रव्य में निवास करता है,
रक्त, वीर्य, योनिरस में तो मालामाल है।
करे मित्रता ये सीडी-4 रक्त कणिका से,
पंगु प्रतिरक्षा करे ऐसी इसकी चाल है।।
जब घट जाए प्रतिरोधक शक्ति तन की तो,
कोई भी रोग कर सके बुरा हाल है।
कहने को हमने तो चांद को भी जीत लिया,
खोजे कैसे एड्स का इलाज़ ये सवाल है?
स्त्री, पुरुष, वर्ग, जाति-धर्म कोई हो,
करता न भेद भाव यही तो कमाल है।
सभी सूई, वैक्सीन, टबलेट बेकार हुए,
कोई भी दावा न तोड़ सकी इसका जाल है।।
जांच करवा के ही खून चढ़वाइएगा,
लगे नई सुई सिरिंज रखना ख्याल है।
किसी अंजाने से संबंध जो बनाइये तो,
उम्दा निरोध का ही करना इस्तेमाल है।।
रोग लाईलाज न तो टीका न दवाई है,
करिए बचाव एकमात्र यही ढाल है।
रोग लाईलाज न तो टीका न दवाई है,
करिए बचाव एकमात्र यही ढाल है।।
डॉ॰ सूर्या बाली “सूरज”
रोग तो अनेक प्रकार के हैं मानव में, उनमे से एड्स की समस्या विकराल है।
रोग लाईलाज न तो टीका न दवाई है, करिए बचाव एकमात्र यही ढाल है।।
असुरक्षित यौन संबंध के बनाने से,
संक्रमित ख़ून को शरीर मे चढ़ाने से,
नशे की सुई एक दूजे लगाने से,
संक्रमित माँ से नवजात शिशु मे, इस तरह एड्स फैलता मायाजाल है।
हाथ मिलाने से और साथ खाना खाने से,
छूने से या चुंबन से या गले लग जाने से,
काटने से मच्छर के और आम जगह जाने से,
साथ उठने बैठने या बोलने बतलाने से, फैलता नहीं एड्स यही इसका कमाल है।
विश्वव्यापी ए बीमारी, इससे बचो नर-नारी,
एड्स का प्रसार रोको सबकी है ज़िम्मेदारी,
बनोगे जो व्यभिचारी,मुफ़्त मिलेगी बीमारी,
घुट घुट के मारना होगा मस्ती पड़ेगी भरी, तब मत कहना की मेरा बुरा हाल है।
तेजी से चढ़े बुख़ार, आता रहे बार-बार,
बढ़ जाएँ गिल्टियाँ, वज़न घटे लगातार,
छोटे मोटे रोग भी जमाने लगे अधिकार,
दो-तीन महीने तक जब दस्त हो बार, तो समझो की एड्स का आनेवाला भूचाल है।
रोगी को प्यार दें, तिरस्कार मत करें,
घर से समाज से बहिष्कार मत करें,
घृणा से न देखे उसे, शब्दवार मत करें,
बची खुची ज़िंदगी तो चैन से बिताने दें, अंत मे बेचारे को समाना काल गाल है।
सुई लगा के नशे की मस्त घूम रहा,
होके मदांध, वेश्याओं के पांव चूम रहा,
साथ मे विकराल एड्स रोग लिए घूम रहा,
भटका है युवा , होगा उस देश का क्या? देश रूपी नैया के खेवैया का जब ये हाल है।
यदि घर का मुखिया, कमाने वाला ग्रस्त होगा,
पति और पत्नी का जीवन सूर्य अस्त होगा,
पूरा परिवार एक की ग़लती से त्रस्त होगा,
होगा क्या भविष्य, जाएँगे अनाथ बच्चे कहाँ? “सूरज” का पूरी दुनिया से ये सवाल है।
डॉ॰ सूर्या बाली “सूरज”
(1)
दवा न कोई बन सकी न कोई वैक्सीन।
एड्स से बचने के लिए सदा रहो तल्लीन।
सदा रहो तल्लीन और कंडोम लगाओ।
जब भी अंजाने के संग संबंध बनाओ।
अगर हो गया एड्स मरोगे तिल तिल करके।
आओ करें बचाव सभी ही मिल जुल करके।
(2)
एचआईवी विषाणु ने मचा दिया भूचाल।
रोक सके इसको, कही कोई है माई का लाल।
है माई का लाल कोई तो आगे आए।
कैसे रोके एड्स कोई तो दवा बताए।
कहे सूरज सब लोग रहो सावधान एड्स से।
वरना हो जाओगे सब परेशान एड्स से।
(3)
आ जाने से एड्स के त्रस्त हुआ संसार।
टबलेट, इंजेक्सन औ टीका सभी हुए बेकार।
सभी हुए बेकार, बचाव एक मात्र तरीका।
असुरक्षित यौन संबंध, काल बनेगा जी का।
जांच करके ही ख़ून सबको चढ़वाएँ।
नशे की सुई न लें, एड्स से बचें बचाएं।
(4)
एड्स विषाणु जनित रोग सबके जीवन मे विष घोलेगा।
आज नहीं कुछ साल बाद, जब ये सिर चढ़के बोलेगा।
सिर चढ़के बोलेगा अविभावक जब मर जाएँगे।
उनके बच्चे होंगे अनाथ और दर दर ठोकर खाएँगे।
नई समस्या होगी देश पे, कुछ भी नहीं कर पाएंगे।
अगर अभी से नहीं चेते तो, रोगी बढ़ते जाएंगे॥
(5)
सूरज इस संसार को घेरा एड्स का रोग।
निराकरण का दूर तक, न दिखता कोई योग।
न दिखता कोई योग, हुआ बेकार तमाशा।
मिली दवा न कोई लगी बस हाथ निराशा।
समय से पहले संभलें, वरना पश्याताप करेंगे।
एड्स को यदि जाने समझेगे तभी बचेंगे ॥
डॉ॰ सूर्या बाली "सूरज"
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