समस्यापूर्ति का नाम पिछले कुछ दिनों से, तमाम लोगों द्वारा काफी सुनने को मिला ! इस दौरान मुझे सिर्फ इतना पता चल पाया था कि समस्यापूर्ति साहित्य से जुड़ी हुई कोई क्रिया है ! थोड़ी खोजबीन किया तो एक प्रसंग सामने आया जो मै यहाँ उदधृत कर रहा हूँ...
एकबार भोजराज की राजसभा में कालिदास, भवभूति, बाणभट्ट आदि कई कवि उपस्थित थे ! उसी समय अचानक, पहले की सुनी कोई ध्वनि भोजराज को स्मरण हो आयी ! वह बोले, "कविश्रेष्ठों ! आपके सामने एक समस्या प्रस्तुत की जाती है, आप उसे पूर्ण करें ! समस्या है - टटं टटं टं !" भोजराज की इस अप्रत्याशित बात पर सब कवि आश्चर्य में थे ! कुछ क्षण पश्चात भवभूति बोले, "महराज ! इस समस्या का समाधान तो महाकवि कालिदास ही करने में सक्षम हैं !" राजा ने कालिदास की ओर देखा ! और फिर, कालिदास ने समस्या के तीन चरणों को रचकर समस्यापूर्ति की ! कालिदास ने संस्कृत में किस तरह का पद्य का रचकर ये समस्यापूर्ति की, वो पद तो मै नही जानता, पर उसका हिंदी शब्दार्थ कुछ यूँ है, "राजाभिषेक के समय कोई नवयुवती जल लाती हुई हाथों में स्वर्ण-कलश को लेकर सीढ़ी पर उतरती है ! तभी अचानक उसके हाथ से कलश छूटकर सीढ़ी पर गिर जाता है और फिर उसमे से यह ध्वनि निकलती है - टटं टटं टं !" कालिदास की इस समस्यापूर्ति से राजा और सभी कवि बहुत हँसे और प्रसन्न हुवे !
इस प्रसंग को पढ़ने के बाद मै सिर्फ इतना ही समझ पाया हूँ कि समस्यापूर्ति क्या क्रिया है ? पर इस विषय में इससे अधिक जानकारी नही मिल पायी !
यह पोस्ट लिखने के दो उद्देश्य हैं- प्रथम कि समस्यापूर्ति के विषय में अधिकाधिक जानकारी प्राप्त हो, और द्वितीय कि अगर संभव और सर्वस्वीकार्य हो तो यहाँ भी समस्यापूर्ति का आयोजन किया जाए !
सादर निवेदन है कि समस्त प्रबुद्धजन प्रस्तुत विषय से सम्बंधित अपनी जानकारी, राय व विचारों को यहाँ रखें, और मेरा तथा एक दूजे का भी ज्ञानकोष समृद्ध करें ! धन्यवाद !
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समस्यापूर्ति हेतु आभार मुख्य प्रबंधक महोदय
बहुत बहुत आभार आदरणीय गणेश जी, आपने समस्या की उचित पूर्ति की ! आदरणीय सौरभ जी की छिप रही टिप्पणी को हमारे समक्ष रखा ! पुनः सादर धन्यवाद !
आदरणीय श्री पियूष जी , आपका सुझाव बढ़िया है हालाँकि इस बारे में पहले भी विमर्श हो चुका है ।
साथ ही ओ बी ओ पर पूर्व से ही कई आयोजन चल ही रहे हैं । वैसे निर्णय एडमिन जी के हाथ ही है ।
परन्तु ओ बी ओ पर पिछले एक वर्ष में सक्रिय सदस्यों की संख्या बढ़ी है और सम्भावना सकारात्मक संभव है । अपने जिस प्रसंग का ज़िक्र किया उसे हम सब बचपन से सुनते रहे हैं उसे पुनः प्रस्तुत करने के लिए और इस सृजन शील सुझाव के लिए आप को साधुवाद !!
आदरणीय अरुण जी, चूंकि, मै इस वेबसाईट से कुछ ही महीने पहले जुड़ा हूँ, अतः पूर्व-विमर्श के विषय में अनभिज्ञ हूँ ! बेशक, यहाँ समस्यापूर्ति से मिलते-जुलते आयोजन सक्रिय रूप से गतिशील हैं, पर वो समस्यापूर्ति के मूल स्वरूप से किंचित भिन्न हैं ! समस्यापूर्ति के आयोजन की ये बात, सिर्फ मेरी निजी राय है, जिसे, अन्य प्रबुद्धजनों की राय जानने के लिए मैंने यहाँ रखा है ! जैसे-जैसे अन्य लोगों की रायें आएंगी, वैसे-वैसे बात स्पष्ट होगी ! बाकी निर्णय तो बेशक एडमिन जी के ही हाथ में है !
अपने विचारों से अवगत कराने के लिए आपका आभार !
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