लाल कला,सांस्कृतिक एवं सामाजिक चेतना मेंच के तात्वावघान में बिश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर एक परिचर्छा का आयोजन किया गया जिसक बिषय था- पर्यावरण संरक्षण में मानव का योगदान । इस अवसर पर पर्यावरण प्रेमी लाल बिहारी लाल ने सूझाया कि मानव अपने छोटे-छोटे प्रयासों से पर्यावरण के असंतुलन की गति को कम किया जा सकता है। जिसमें पानी के लिए बेकार पानी से गमलें में लगे पौधों को सींचना,घर का हरेक सदस्यों के लिए पानी पीने का एक ही पात्र रखना तथा उसे दिन में एक बार ही धोना,गाडियों को सीधे नलके से न धोकर,बाल्टी के पानी से धोना। क्योकि जल का भण्डार सीमित है। दूसरे वायु प्रदूषण को सार्वजनिक परिवहन ब्यवस्था का प्रयोग करना,संभव हो तो ब्यक्तिगत रुप से कार पूल का उपयोग करना। बच्चों के पुरानी किताबो को किसी जरुरतमंद को दान देना न कि कबारी से बेंचना ताकि वह नई किताब खरीदकर र्यावरण पर उतपन्न दबाव को कुछ कम किया जा सकें। रद्दी कॉपी से सादा पन्नों को भी निकालकर इसे एक नई कॉपी बनाकर गृह कार्य के लिए उपयोह किया जा सकता है। घरों में छोटे-छोटे गमलों में औषधीय या सब्जीवाले पेड लगाकर आम के आम गुठली के दाम की तरह फायदा लिया जा सकता है।
पोलीथीन का कम से कम प्रयोग करना,इसके स्थान पर कपडे के थैलों का प्रयोग करना।
घरों में बिजली की बर्बादी को रोकना,घर में जाए तो जलाए बाहर जाते हीउसे बुझा दें।
इसके अलावें भी कई बाते हैं जिसके द्वारा मानव पर्यावरण संरक्षण में अपनी अहम भूमिका निभा सकता है।
कृप्या आप इसे अमल करें।
लाल बिहारी लाल,नई दिल्ली
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